और चुने हुए सेवकों से सवाल करें. गलत सूचना पर न जाएँ अपने हक़ की बात करें.
पुन्यप्रसून वाजपेयी ने एक शेर पढ़ते हुए कहा इलाज करते कराते फिर रहे हे जाने किस किस से.. मोहब्बत कर के देखे ना मोहब्बत क्यूँ नहीं करते. यह शेर मशहूर शायर फ़रहत एहसास ने लिखी थी.
औसतन 400% ब्याज बढ़ा..संभव है ?
बैंक | 31/3/14 तक | 31/3/18 में |
देना बैंक | ₹2616cr | ₹16,361cr |
आँध्र बैक | ₹5,858cr | ₹28,124cr |
इलाहाबाद बैक | ₹7,961cr | ₹26,419cr |
यूनियन बैक | ₹9,142cr | ₹45,824cr |
एसबीआई | ₹57,819cr ₹ | 2,16,228cr |
पीएनबी | ₹18,611cr | ₹83,897cr |
सेन्ट्रल बैक | ₹11,500cr | ₹38,131cr |
बैकआफ इंडिया | ₹10,274cr | ₹52,086cr |
कहने का तात्पर्य है कि जब संन 2104 एनपीए कम था तो यकायक चार साल में इतना बढा कैसे. इस पर सवाल जरुर खड़ा हो जाता है. इस पर जनता के पूंछने का हक़ है और अपनी बात जानने का हक़ भी होता है. आखिर यह बात देश हित में और जनहित में जानना जरूरी है.
जिस तरह हर एक बेंक का एनपीए कई गुना बढ़ा है तो क्यों? ये सवाल जब आप जानेगें तभी कुछ हल निकलेगा.