सैन्य साहित्य सम्मेलन चंडीगढ़ गया था। वहाँ सेना के कुछ हथियार देखें। बेल्जियम स्वीडन और भारत में बने हुए। हम समझते हैं कि इन भारी भरकम हथियारों को चलाना ताक़त का काम है। मगर आज पता चला कि गणित का काम है। चंद सेकेंड में दूरी और डिग्री का इतनी सही अंदाज़ा लगा लेना पड़ता है और दाग देना होता है।
इन जाबाजों के अभ्यास में शामिल है कि एक बार में देखकर सौ मीटर का सटीक अंदाज़ा लगा लें और फिर उसी एक सेकेंड के नैनोसेकेंड में उसका एंगल फ़िक्स कर दाग देना होता है। हर समय गुणा भाग करना होता है। ग़ज़ब।
परफ़ेक्शन का अपना जमाल होता है। परफेक्शन से ही बहादुरी में गरिमा आती है। काफ़ी कुछ सीखने को मिला। सुनने का अपना फ़न होता है। मुझे लगता है पत्रकारों को बताने में भी अच्छा लगता होगा। शुक्रिया मेजर भारतेन्दु । धीरज और विस्तार से मुझे शिक्षित करने के लिए।
आपकी शालीनता पसंद आई। मेजर भारतेन्दु ने कहा कि जब कोई नौजवान सेना में आने के लिए पूछता है तो मैं कहता हूँ कि मैथ्स परफ़ेक्ट करो। मैथ्स से डरो मत। मैथ्स सैनिक को बहादुर बनाता है। 2nd बटालियन, दि सिख रेजिमेंट के बारे में जानना अच्छा लगा।
एक नारा है, राजा दे दिया, राजा ले लिया। कभी बताएँगे। दिल्ली आ गया हूँ। सुबह छह बजे से लेकर चलता ही रहा। बड़ा ही मनोरम जगह पर मेला होता है।