--वैश्या--...चल उतर...आराम से सीढ़िया चढ़ना। सुषमा ने मधु की बेकरारी देखकर कहा। अभी तक आपने पढ़ा,अब आगे
--वैश्या--
...चल उतर...आराम से सीढ़िया चढ़ना। सुषमा ने मधु की बेकरारी देखकर कहा।
अभी तक आपने पढ़ा,अब आगे।
भाग 10-
मधु अस्पताल के अंदर पहुँची तो मुहं से चीख़ और आंखों से आसुओं की धारा फुट पड़ी। सामने राजू को कफ़न में लपेटा जा रहा था।
वह फर्श पर निढाल होकर बैठ गयी। उसकी दुनियां एक बार फिर बदरंग हो गयी थी।
दीदी बिलखते हुये मधु को सहारा देते हुये वाकया बताने लगी।
मैं जब बैंक से पैसे लेकर सुषमा के साथ अस्पताल आयी तो पता चला कि राजू को सुबह अचानक दिक्कत होने लगी थी। उसकी सांस उल्टी चल रही थी।
डॉक्टरों ने खूब प्रयास किया मगर राजू को बचाया न जा सका। इतना बताते-बताते दीदी खुद सुबकने लगी।
मुझे डर था कि तेरे को अचानक से पता लगेगा तो तेरा हाल बुरा हो जायेगा। इसलिये सुषमा को तुझे बिना बताये लाने को कहा था।
अब नियति पर किसका जोर है माही। अच्छे लोगों की दुनियां ऊपर होती है। एक मेरे को देख,मैं तभी मर जाना चाहती थी जब मेरे सौतेले बाप ने मुझे कम उम्र में मुझे मेला घुमाने के नाम पर कोठे पर लाकर बेच दिया। और मेरे बारे में अफवा उड़ा दी कि मैं मेले में खो गई।तब मैंने जाना कि दुनिया कितनी बेरहम और कुत्ती है। उसके बाद मैं हर रोज मरने की सोचती...मगर मर न सकी। मैं जिंदा तो थी मगर मेरी भावनाएं मर चुकी थी। इसलिये मैं किसी पर रहम नहीं करती। चाहे कोठे पर आई लड़की हो या ग्राहक।
दीदी ने पहली बार अपने जीवन की दास्तान बताई थी।
मधु रोये जा रही थी। अब राजू के लाश को स्ट्रेचर पर रखकर वार्डबॉय बाहर की तरफ चल दिया था।
दीदी ने कालू को भेजकर श्मशान पर इंतजाम करवा दिए हैं। माही चुप हो जा। देख राजू की आत्मा तुझे रोता देखेगी तो राजू को चैन न मिलेगा। और तू राजू की याद को गर्भ में रखे हुए है,तू उसका तो खयाल कर।सुषमा ने मधु को संभालते हुये कहा।
चल गाड़ी में बैठ दीदी लिखापढ़ी करवा के आती है। तुझे श्मशान नही जाना है।मैं तू दूर ही रहेगी।
बाकी कालू और कोठे के लड़के सब करवा देंगे। यह कहते हुये सुषमा निढाल सी मधु को लेकर अस्पताल के बाहर खड़ी गाड़ी में लाकर बैठ गई।
क्रमशः...
विनय मौर्या।
बनारस।