सितम यूँ भी सनम खुद पर कभी ढाया नहीं करते...
पढ़िए एक गजल, जो आपके दिल को छू जाए
सितम यूँ भी सनम खुद पर कभी ढाया नहीं करते
किसी के इश्क में खुद को कभी ज़ाया नहीं करते
वफ़ा की आरज़ू हो बस ज़रूरी क्या वफ़ा होना
किसी की याद में दिल को यूँ बहलाया नहीं करते
किसी की आस को लेकर भला कब तक जिए कोई
कि अपनी जिन्दगी में रंज फैलाया नहीं करते
हमें भी आपके जैसा मिलेगा फिर कभी कोई
हमें अब ख्वाब भी ऐसे कभी आया नहीं करते
बड़े नादान हो तुम 'सिंह' समझते ही नहीं इतना
किसी की आरज़ू में दिल को तरसाया नहीं करते
_______✍️गौरव सिंह तोमर