अभिसार शर्मा ने भी न्यूज़ चैनल न देखने की अपील पर कार्यक्रम किया है। आप अभिसार को सुनें। वह बिना किसी सपोर्ट के अकेला लड़े जा रहा है। सवा अरब की आबादी वाले देश में एक पत्रकार को बर्दाश्त करने की ताकत नहीं बची है। मेरे लिहाज़ से ये बुज़दिल इंडिया है। बहादुर इंडिया नहीं।
अभिसार या मैं किसी भावुकता में नहीं कह रहे हैं। हम आपके देखने के विकल्प का सम्मान भी करते हैं। सौ सौ न्यूज़ चैनल हैं। मगर सब जगह एक ही तरह की खबरें और प्रोपेगैंडा है। हम नहीं बल्कि न्यूज़ चैनल आपके लिए सूचनाओं के विकल्प को सीमित कर रहेे हैं। पांच साल लगातार विपक्ष को गायब कर दिया। आज आपके दिमाग में विपक्ष नहीं है। विपक्ष का मतलब विपक्ष की पार्टियां नहीं होती हैं। जनता भी होती है। विपक्ष के नाम पर न्यूज़ चैनलों ने जनता को गायब कर दिया है। हम बस यही चाहते हैं कि न्यूज़ चैनल देखना बंद करें
और इन पर लोकतांत्रिक तरीके से दबाव डालें कि वे अपने भीतर विविधता लाएं। सूचनाओं की पवित्रता बहाल हो। ताकि आपके देखने का जो अधिकार है वो सम्मानित हो।
मैं चैनल में काम करता हूं। रोज़ रात को नमस्कार करता हूं। वो हम करते रहेंगे मगर आप कोई भी न्यूज़ चैनल न देखें। देश और समाज के लिए कुछ भी करने का इससे आसान तरीका कुछ नहीं हो सकता। न तो धूम में प्रदर्शन करना है और न ही पुलिस की लाठी खानी है। आप न्यूज़ चैनल न देखें। याद रखिएगा मेरी बात को। आज आप हंसेंगे। हंस सकते हैं। हम आपके ही बीच हैं। तब मत कहिएगा कि चेताया नहीं।
न्यूज़ चैनल प्लास्टिक का कचरा हैं। गाय खा लेगी तो उसे केैंसर हो जाएगा, आदमी घर लाएगा तो उसे कैंसर हो जाएगा।