"बड़े बदनसीब हैं वो दंपति जो निःसंतान ही मर जाते हैं।" मातृत्व सुख अस्पताल के उद्घाटन के बाद चाय-पानी के समय चर्चा में बड़े समाज सेवक ने अपनी बात रखी।
साथ ही चाय की चुस्की ले रहे क्रांतिकारी पत्रकार ने प्रश्न उछाल दिया, "उन दंपति के बारे में आपका क्या ख्याल है, जो साधनसंपन्न संतान होते हुए भी वृद्धाश्रम में दम तोड़ देते हैं?"
समाजसेवी प्रश्न का निशाना समझ गए, "मुझे देर हो रही है, अभी एक ब्लड डोनेशन कैम्प का रीबन काटने जाना है।" कहते हुए निकल गए। पत्रकार महोदय के होठों पर कुटिल मुस्कान तैर गयी।
©विजय 'विभोर'
(12/07/2021)
रोहतक