वल्लभ भाई को कैसे मिली 'सरदार' पटेल नाम की उपाधि ?
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया
सरदार वल्लभ भाई पटेल स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्त्वपूर्ण योद्धा, एक दूरदर्शी राजनेता, एक सम्माननीय समाजसेवक थे। जिन्हें भारत का लौह पुरुष भी कहा जाता है। सरदार पटेल स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले उप – प्रधानमंत्री व गृह मंत्री बनाए गए। पटेल नवीन भारत के निर्माता थे। राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी थे। देश के विकास में सरदार वल्लभभाई पटेल के महत्व को सैदव याद रखा जाएगा। देश की आजादी के संघर्ष में उन्होंने जितना योगदान दिया, उससे ज्यादा योगदान उन्होंने स्वतंत्र भारत को एक करने में दिया।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने राजनीतिक इतिहास में एक गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त किया। वास्तव में वे आधुनिक भारत के शिल्पी थे। उनके कठोर व्यक्तित्व में संगठन कुशलता, राजनीति सत्ता तथा राष्ट्रीय एकता के प्रति अटूट निष्ठा थी। जिस अदम्य उत्साह असीम शक्ति से उन्होंने नवजात गणराज्य की प्रारंभिक कठिनाइयों का समाधान किया, उसके कारण विश्व के राजनीतिक मानचित्र में उन्होंने अमिट स्थान बना लिया। भारत की स्वतंत्रता संग्राम में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
सरदार पटेल को भारत का लौह पुरुष कहा जाता है। गृहमंत्री बनने के बाद भारतीय रियासतों के विलय की जिम्मेदारी उनको ही सौंपी गई थी। उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए छह सौ छोटी-बड़ी रियासतों का भारत में विलय कराया। देशी रियासतों का विलय स्वतंत्र भारत की पहली उपलब्धि थी और निर्विवाद रूप से पटेल का इसमें विशेष योगदान था।
अपनी बुलंद आवाज से नेता वल्लभभाई ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया. बारडोली सत्याग्रह 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ किया गया था. इसमें सरकार द्वारा बढ़ाये गए कर का विरोध किया गया और किसान भाइयों के आंदोलन के जोर को देख कर ब्रिटिश वायसराय को झुकना पड़ा. इस बारडोली सत्याग्रह के कारण पुरे देश में वल्लभभाई पटेल का नाम प्रसिद्द हुआ और लोगो में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी. इस आन्दोलन की सफलता के कारण वल्लभ भाई पटेल को बारडोली के लोग सरदार कहने लगे जिसके बाद इन्हें सरदार पटेल के नाम से ख्याति मिलने लगी।
सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था। उन्हें मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारतरत्न दिया गया। वर्ष 2014 में केंद्र की मोदी सरकार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती (31 अक्टूबर) को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाना शुरू किया है।