भोग बना प्रेम जब तो राष्ट्र की प्रीत मैं लिखने लगा
प्रेम हो तो राधा सा ध्यान को ही मीत मैं लिखने लगा
जब भूल गये सब मान जब पश्चिम के परिधान में
तब लेखनी थाम कर जागरण के गीत मैं लिखने लगा
बात आये देश की तो हर पटल पर जीत मैं लिखने लगा
रावणों के राज में मैं राघववाली रीति मैं लिखने लगा
और जब ना रूके जंग की तकरार तीर वातलवार से भी
तब लेखनी थाम कर जागरण के गीत मैं लिखने लगा
- अभिषेक द्विवेदी