हरियाणा सरकार की अनोखी पहल से बड़ी बेटियों की जन्म दर, जानिए क्या है जन्म दर

हरियाण में पहली बार बेटियों की जन्म दर संख्या बढ़ी।

Update: 2019-08-09 10:24 GMT

हरियाणा। हरियाणा सरकार का दावा है कि पहली बार प्रदेश में बेटियों की जन्म दर 918 तक पहुंची है। इस प्रकार, वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा 920 के ऊपर पहुंचने का है। यह जानकारी मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी कार्यक्रम के परियोजना निदेशक डॉ राकेश गुप्ता की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के दौरान दी गई। डॉ. गुप्ता ने उपायुक्तों के साथ विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा बैठक की। बैठक में पीएनडीटी, एमटीपी व पॉक्सो एक्ट तथा सीएम विंडो, सोशल मीडिया ग्रीवेंस ट्रेकर, हरियाणा विजन जीरो, अंत्योदय सरल प्रोजेक्ट व सक्षम हरियाणा की समीक्षा की गई। 

बतादें कि  वर्ष 2014 में 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या 871, 2015 में 876, 2016 में 900, 2017-18 में 914 थी जबकि जून, 2019 तक यह संख्या 918 है। डॉ राकेश गुप्ता ने बेटियों को बचाने के लिए किए गए बेहतर प्रदर्शन के लिए पंचकूला, हिसार, यमुनानगर, नारनौल और अंबाला जिला प्रशासन की सराहना की।

इसके अलावा उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि पीएनडीटी, एमटीपी व पॉक्सो एक्ट में जहां-जहां त्रुटियां है, उन्हें दूर किया जाए और तत्परता से कार्य करें। डॉ गुप्ता ने स्वास्थ्य विभाग और महिला एवं बाल विकास विभाग को लिंगानुपात में और अधिक सुधार लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि लिंग जांच व कन्या भ्रूण हत्या में शामिल लोग किसी भी सूरत में बख्सा नही जायेगा और उनपर कठोर कार्यवाई की जायेगी। 

मुख्यमंत्री सुशासन सहयोगी कार्यक्रम में युवाओं को सुशासन लाने में बदलाव के वाहक के रूप में शामिल किया जाता है और यह कार्यक्रम मेधावी युवाओं को सीधे जिला प्रशासन एवं मुख्यमंत्री कार्यालय के साथ मिलकर काम करने और सामाजिक प्रभाव डालने के लिए एक मंच प्रदान करता है। हरियाणा देश का पहला राज्य है, जिसने शिक्षा में नियोजित ढंग से सुधार किए हैं और सक्षम हरियाणा के माध्यम से विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में सुधार किया है। इस कार्यक्रम से विद्यार्थियों में हिन्दी और गणित के सक्षमता स्तर में सुधार करने में सहायता मिली है। 

बेटी बचाओ बेटी पढाओं अभियान के एक भाग में सहयोगियों ने पीओसीओएस अधिनियम के तहत दायर मामलों में सजा दर में सुधार लाने में सहायता की है। राज्य में लड़का-लड़की भेदभाव को खत्म करने के लिए जागृति जैसे लेंगिक संवेदना कार्यफ्म चलाए गये। जागृति का पिछले वर्षों में विस्तार हुआ है, युनिसेफ, जोकि इसका तकनीकी सहयोगी है, उससे काफी सहायता मिली है और यह कार्यफ्म एमएएमटीए एचआईएमसी द्वारा फ्यिन्वित है और रिलेक्सों फाउंडेशन द्वारा वित्तपोषित है।

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