HARYANA POLITICS: विधानसभा चुनावों कांग्रेस को खलेगी किरण चौधरी की कमी, इन सीटों पर पड़ेगा जबरदस्त प्रभाव

Haryana Politics: हरियाणा में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। मुश्किल से चुनाव आने में चार महीने का वक्त बचा है। लेकिन चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है।

Update: 2024-06-19 08:43 GMT

Haryana Politics: हरियाणा में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। मुश्किल से चुनाव आने में चार महीने का वक्त बचा है। लेकिन चुनाव से पहले हरियाणा कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने ‘हाथ’का साथ छोड़ ‘कमल’का दामन थाम लिया है। अपने इस्तीफे में किरण ने इशारों इशारों में भूपेंद्र हुड्डा पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा है कि हरियाणा में कांग्रेस पार्टी केवल एक ही व्यक्ति की जागीर बनकर रह गई है।

जहां किरण भिवानी के तोशाम से कांग्रेस विधायक हैं तो वहीं उनकी बेटी श्रुति भिवानी महेंद्रगढ़ सीट से सांसद रह चुकी हैं। इसके साथ ही किरण चौधरी हरियाणा में बड़ा जाट चेहरा हैं। वो तोशाम से लगातार तीन बार विधायक चुनी जा चुकी हैं। वो साल 2014 में नेता प्रतिपक्ष थीं वहीं इससे पहले हुड्डा सरकार में 10 साल मंत्री रह चुकी हैं। किरण चौधरी की खासा पकड़ तोशाम, निहारू, बाड़ी, भिवानी और नांगल चौधरी तथा इसके आस-पास के कई इलाकों में हैं। ऐसे में 3 से 4 सीटें प्रभावित हो सकती हैं। इसके साथ ही किरण बंसीलाल परिवार की विरासत संभालती आई हैं।

पार्टी में उठे बगावती सुर

बता दें, बंसीलाल हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री थे। गौरतलब है कि भिवानी महेंद्रगढ़ सीट पर श्रुति चौधरी को टिकट दिए जाने की चर्चा थी लेकिन उनके जगह भूपेंद्र हुड्डा के करीबी राव दान सिंह को टिकट दिया गया जो भाजपा के मौजूदा सांसद धर्मवीर सिंह से 5लाख 8664वोट से चुनाव हार गए। जिसके कांग्रेस के कुछ नेता कह रहे थे कि अगर पार्टी सही तरीके से टिकट देती तो पार्टी की और सीटें आ सकती थीं। अब कांग्रेस पार्टी के अंदर अंतर्कलह का नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस के दिग्गज नेता ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

बड़े चेहरे भाजपा में हो सकते हैं शामिल

इस इस्तीफे से कांग्रेस की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं क्योंकि बगावत की जो हवा दबी जुबान में चल रही थी उसको किरण चौधरी ने आंधी का रूप दे दिया। ऐसे में कहा जा रहा कि कांग्रेस के कई बड़े चेहरे भाजपा में शामिल हो सकते हैं। राज्य में गुटबाजी की सियासी कथा पुरानी है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस में खुलकर गुटबाजी सामने आई थी जिसका नतीजा ये निकला की लगातार दूसरी बार पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा।

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