एलन मस्क को है एस्पर्जर्स सिंड्रोम, जाने क्या होती है ये बीमारी
अमेरिकी कॉमेडी टेलीविजन शो सैटर्डे नाइट लाइव नाम के एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि उन्हें एस्पर्जर्स सिंड्रोम है।
दुनिया में वैसे तो कई हस्तियां ऐसी हैं, जिनकी चर्चा आए दिन होती रहती है। लेकिन एलन मस्क इस लिस्ट में काफी ऊपर नजर आते हैं। एलन टेस्ला और स्पेसएक्स कंपनी के मालिक हैं। वहीं, अमेरिकी कॉमेडी टेलीविजन शो सैटर्डे नाइट लाइव नाम के एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि उन्हें एस्पर्जर्स सिंड्रोम है। उनके द्वारा इस बात को दुनिया में सामने रखने के बाद वे एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं, और एस्पर्जर्स सिंड्रोम को लेकर भी काफी चर्चा हो रही है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
दरअसल, इस अमेरिकी कार्यक्रम में एलन मस्क ने कहा कि, 'मैं पहला इंसान हूं, जिसे एस्पर्जर्स सिंड्रोम है और जो लंबे समय से चल रहे एक टेलीविजन शो को होस्ट कर रहा है।' वहीं, माना जाता है कि जिन लोगों को एस्पर्जर्स सिंड्रोम होता है, वो अपने आसपास के वातावरण को आम लोगों की तुलना में अलग तरीके से देखते हैं।
वहीं, इस कार्यक्रम के दौरान जहां कई लोगों ने उनकी तालियां बजाकर सराहना की और उन्हें उत्साहित किया, तो वहीं सोशल मीडिया पर एलन के इस दावे पर कई लोगों ने सवाल उठाए। एलन ने कहा कि, 'मैं जानता हूं कि मैं कभी-कभी कुछ अजीब पोस्ट कर देता हूं, लेकिन मेरा दिमाग ऐसे ही काम करता है।' साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि 'मैं रॉकेट के जरिए इंसान को मंगल ग्रह पर भेजने वाला हूं, ऐसे में क्या आपको लगता है कि मैं आम इंसान हो सकता हूं?'
क्या होता है एस्पर्जर्स सिंड्रोम
-आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि एस्पर्जर्स सिंड्रोम क्या है? तो यहां आपको बता दें कि एस्पर्जर्स सिंड्रोम आजीवन रहने वाली मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जो व्यक्ति को अलग-अलग तरीके से प्रभावित कर सकती है।
जो लोग इस समस्या से जूझ रहे होते हैं, उन लोगों को कही या अनकही बातों को समझने में परेशानी हो सकती है। आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि किसी तरह की जानकारी या बात को प्रोसेस करने में उसके दिमाग को आम व्यक्ति की तुलना में अधिक वक्त लगता है।
जिन लोगों को एस्पर्जर्स सिंड्रोम होता है, उनमें से कई व्यक्तियों में किसी एक खास काम को लेकर साधारण व्यक्ति की तुलना में कहीं अधिक दिलचस्पी होती है और वो उस पर ध्यान लगाने में भी सक्षम होते हैं और कई लोग तो इसे अपना करियर बना लेते हैं।
वहीं, जो लोग इस समस्या से जूझ रहे होते हैं, उन्हें अपनी भावनाएं व्यक्त करने में भी मुश्किल पेश आती है। हालांकि, ये लोग दूसरे लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील और नॉन ऑटिस्टिक व्यक्ति की तुलना में अधिक भावुक हो सकते हैं।