महामारी के बीच रूस की कोरोना वैक्सीन पर बड़ी खुशखबरी, यहाँ जाने ताजा अपडेट
शोधकर्ताओं के मुताबिक, सिर्फ 28 दिन के अंदर वैक्सीन ने शरीर में टी सेल यानी व्हाइट ब्लड सेल्स भी पैदा किए।
रूस की कोरोना वैक्सीन 'स्पुतनिक-वी' की प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर पिछले कई दिनों से दुनियाभर में बहस चल रही है। अब इसको लेकर एक अध्ययन किया गया है, जिसमें यह वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। चिकित्सा जगत से जुड़े शोध प्रकाशित करने वाली लैंसेट पत्रिका ने एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें यह जानकारी दी गई है कि लोगों पर किए गए परीक्षण में इस वैक्सीन से किसी में भी किसी तरह का साइड-इफेक्ट नजर नहीं आया है, बल्कि इससे उनके शरीर में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबॉडी तैयार हुई है। बता दें कि रूस ने पिछले महीने ही यह वैक्सीन लॉन्च की थी और इसके सुरक्षित होने का दावा किया था।
आइए जानते हैं इससे जुड़े ताजा अपडेट्स
लैंसेट ने अपनी रिपोर्ट में कुल 76 लोगों पर किए गए वैक्सीन के शुरुआती चरण के परीक्षण के नतीजों को लेकर जानकारी दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन की डोज देने के बाद कुल 42 दिन तक सभी लोगों की निगरानी की गई, लेकिन इस दौरान किसी में भी कोई साइड-इफेक्ट नजर नहीं आया यानी वैक्सीन सुरक्षित पाई गई। इतना ही नहीं, 21 दिन के अंदर सभी लोगों में एंटीबॉडी भी पैदा हो गई।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, सिर्फ 28 दिन के अंदर वैक्सीन ने शरीर में टी सेल यानी व्हाइट ब्लड सेल्स भी पैदा किए। दरअसल, शरीर में मौजूद टी-सेल कोरोना वायरस को मारने का काम करती है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इस वैक्सीन का ट्रायल रूस के दो अस्पतालों में किया गया, जिसमें 18 से 60 साल की उम्र के स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया था। आपको बता दें कि इस वैक्सीन को रूस के गमलेया इंस्टीट्यूट ने विकसित किया है।
रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के सीईओ किरील दिमित्रीव ने कहा है कि दुनियाभर में कोरोना की वैक्सीन का करीब 60 फीसदी उत्पादन भारत में हो रहा है, वैक्सीन बनाने में हम भी भारत की मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और वैक्सीन के बड़े निर्माताओं से इस संबंध में चर्चा जारी है। इससे पहले भी किरील दिमित्रीव ने कहा था कि भारत के पास वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उप्तादन की क्षमता है और उसके साथ साझेदारी पर विचार किया जा रहा है।