इटली ने उठाया अफगान शरणार्थियों के लिए बड़ा कदम, बनाया "मानवीय गलियारा"
इटली ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अफगान शरणार्थियों के लिए मानवीय गलियारा बनाया है। इटली सरकार ने यह काम चैरिटी और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की मदद से अंजाम दिया है।
इटली ने एक बड़ा कदम उठाते हुए अफगान शरणार्थियों के लिए मानवीय गलियारा बनाया है। इटली सरकार ने यह काम चैरिटी और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की मदद से अंजाम दिया है। अफगान शरणार्थियों का पहला जत्था जिसमें लगभग 300 लोग शामिल हैं सोमवार को इटली पहुंचा है। इटली के विदेश मंत्रालय के अनुसार मानवीय गलियारे का मकसद ''देश में अतिरिक्त शरणार्थियों को शरण देना और अफगानिस्तान में प्रताड़ित किए गए लोगों को सम्मानजनक जीवन देना है।''
पिछले साल अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से तालिबान का देश पर राज है। इटली के विदेश मंत्रालय का कहना है कि अफगानिस्तान छोड़ कर आ रहे अफगानों को सम्मान और सुरक्षा में भविष्य की संभावना देना है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद हजारों अफगान नागरिकों को निकाला गया, लेकिन तालिबान प्रतिशोध का जोखिम उठाने वाले कई लोग पीछे छूट गए। विदेश मंत्रालय ने कहा कि गलियारा ईरान, पाकिस्तान और अन्य पड़ोसी देशों से 1,200 अफगान शरणार्थी को ट्रांसफर करने में मदद करेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी जाएगी। सोमवार को पहले नौ अफगान शरणार्थी तेहरान से उड़ान भरकर इटली पहुंचे। अन्य 200 बुधवार को इस्लामाबाद से उड़ान भर रहे हैं और तीसरा समूह गुरुवार को तेहरान से आ रहा है। वहीं तस्करी के रास्ते यूरोप पहुंचने वाले अफगान शरणार्थियों की संख्या बढ़ रही हैं। अब तक लगभग 3,280 समुद्र के रास्ते इटली पहुंचे हैं. इस बीच प्रवासन के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन ने कहा कि अफगान शीर्ष राष्ट्रीयता है जो यूरोपीय तटों के लिए खतरनाक मध्य भूमध्य सागर मार्ग अपनाने की हिम्मत कर रहे हैं, पिछले शुक्रवार तक इनकी संख्या 8,121 थी।
इटली ने कई वर्षों से मानवीय गलियारों की व्यवस्था करने की कोशिश की है ताकि संघर्ष, उत्पीड़न या अन्य गंभीर परिस्थितियों से भाग रहे लोगों के पास मानव तस्करों से बचना का विकल्प हो। लेकिन इन गलियारों के जरिए दूसरे देशों तक पहुंचने वालों की संख्या यूरोप पहुंचने के लिए तस्करों का सहारा लेने वाले हजारों लोगों की तुलना में कम है। दूसरी ओर अफगानिस्तान इस समय लगभग पूरी तरह से विदेशी मदद पर निर्भर है। तालिबान करीब 50 करोड़ डॉलर के वित्तीय घाटे का सामना कर रहे हैं।