SCO के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के 21वें शिखर सम्मेलन में बोले मोदी : सूफीवाद जैसी परंपरा यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैली..
इस मुद्दे पर SCOको पहल लेकर करना चाहिए। यदि हम इतिहास पर नजर डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र मध्यकालीन और प्रगतिशील साहित्य और मूल्यों का एक प्रकार का गढ़ रहा है, किला रहा है।
पीआईबी, नहीं दिल्ली: आज शंघाई सहयोग संगठन की 21 वी परिषद की बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा ,"ताजिक प्रेसिडेंसी में चुनौतीपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय माहौल में इस संगठन का कुशलता से संचालन किया है। ताजिकिस्तान की आजादी की 30वीं वर्षगांठ के इस वर्ष में , मैं पूरे भारत की ओर से सभी ताजिक भाई-बहनों को और राष्ट्रपति रहमोन को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।
पीएम मोदी ने आगे कहा, इस साल हम SCO की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह खुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूं। मैं तीनों नए डायलॉग - साऊदी अरब, इजिप्ट और कतर - का भी स्वागत करता हूं। SCO का विस्तार हमारी संस्था का बढ़ता प्रभाव दिखाता है। नए सदस्य और डायलॉग से SCO और मजबूत और विश्वसनीय बनेगा।
SCO की 20वीं वर्षगांठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर है। मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास में कमी से संबंधित है। और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ वैश्वीकरण है ।अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है।
इस मुद्दे पर SCOको पहल लेकर करना चाहिए। यदि हम इतिहास पर नजर डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र मध्यकालीन और प्रगतिशील साहित्य और मूल्यों का एक प्रकार का गढ़ रहा है, किला रहा है। सूफीवाद जैसी परंपरा यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैली।
इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं। मध्य एशिया की इस ऐतिहासिक धरोहर के आधार पर SCO को रेडिकलाइजेशन और बाहरी चुनौतियों से लड़ने का एक साझा दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए।SCO को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। इस संदर्भ में मैं SCO के RATS मेकैनिज्म द्वारा किए जा रहे उपयोगी कार्य की प्रशंसा करता हूं।