द हिंदू अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि नेपाल के प्रधानमंत्री ओली ने अपने देश की संसद से और पार्टी के दूसरे नेताओं से भारत के बातचीत के प्रस्ताव को छिपाया.
सूत्रों के हवाले से अख़बार लिखता है - जब संशोधन प्रस्ताव सदन के पटल पर रखा गया था उससे पहले ही वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था.
नेपाली प्रधानमंत्री पीएम ओली के इस एकतरफ़ा कदम ने कठिन स्थिति पैदा कर दी है और भविष्य की किसी भी वार्ता के परिणाम को 'पहले से तय' कर दिया है."
नेपाल की संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा ने 10 जून को देश के नए राजनीतिक नक्शे और नए प्रतीक चिन्ह को अपनाने के लिए संविधान संशोधन करने के प्रस्ताव पर आम सहमति दे दी थी.
उम्मीद की जा रही है कि इस सप्ताह यह ऊपरी सदन में भी पेश कर दिया जाए.
इस नए नक्शे में नेपाल ने अब आधिकारिक रूप से लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के रूप में दिखलाया है जिसे लेकर भारत और नेपाल के बीच तनाव की स्थिति है.
भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को बातचीत से इस मुद्दे को सुलझाने की बात कही थी. जबकि नेपाल के प्रधानमंत्री यह आरोप लगाते रहे हैं कि बातचीत उनकी पहल पर दिल्ली की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया.