ताइवान नहीं हटेगा पीछे, किया अमेरिका का धन्यवाद
दुनिया में गिरती अमेरिकी साख और चीन का वैश्विक शक्ति बनना अमेरिका के लिए बिल्कुल भी असहनीय है।
अमेरिकी राष्ट्रपति त्याई इंग वेन ने चीनी विरोध और धमकी के बावजूद अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी के ताईवान का दौरा करने पर धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि इस महत्वपूर्ण क्षण में ताइवान का समर्थन करने के लिए उनके ठोस कार्यों के लिए हम अमेरिका के एहसानमंद हैं साथ ही उन्होंने कहा कि द्वीप सैन्य खतरों के सामने पीछे नहीं हटेगा। पेलोसी की द्वीप यात्रा की चीन से तीखी आलोचना की है। पेलोसी की ताईवान यात्रा ने बीजिंग को सैन्य कार्रवाई करने तथा अमेरिकी राजदूत को तलब करने के लिए उकसाया है। ताईवानी राष्ट्रपति ने अमेरिका की तारीफ करते हुए यह भी कहा कि अमेरिका ताईवान का सबसे समर्पित दोस्त बताया और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके अटूट समर्थन के लिए उसे धन्यवाद दिया। त्साई ने कहा कि ताइवान संयुक्त राज्य का एक विश्वसनीय भागीदार है और सुरक्षा, आर्थिक विकास और आपूर्ति श्रृंखलाओं में सहयोग को मजबूत करने के लिए अमेरिका के साथ काम करना जारी रखेगा। दरअसल चीन ताईवान को अपना अटूट अंग मानता है और वन चाईना नीति के तहत दुनिया से भी ताईवान को चीन का हिस्सा मानने की बात कहता है। जबकि अमेरिका चीन के विरोध में जाकर ताईवान को अलग देश के रूप में स्वीकार कर उसके हर तरह का समर्थन देने की बात करता रहा है।
दुनिया में गिरती अमेरिकी साख और चीन का वैश्विक शक्ति बनना अमेरिका के लिए बिल्कुल भी असहनीय है। चीन के अलावा रूस भी अब महाशक्ति के रूप में उभर रहा है और अमेरिका को अपना प्रथम शत्रु घोषित करता है। रूस यूक्रेन युद्ध में कहा जाता है कि यूक्रेन को उकसाने में अमेरिका का नाम बताया जाता है। अमेरिकी नीति यह है कि दोनों शत्रु शक्तियों रूस और चीन को किसी युद्ध में उलझा दिया जाए जिससे दोनों प्रतिद्वंद्वियों की प्रगति पर विराम लग जाए। रूस के युक्रेन में उलझ जाने से अमेरिका को कई फायदे हुए एक तो यूरोप पर और अधिक नियंत्रण का अवसर मिला, दूसरे रूस को बाकी हर जगह से ध्यान हटा कर यूक्रेन पर ही ध्यान लगाना पड़ा। इसी कड़ी में वह अब चीन को भी उलझाने की फिराक में रहता है। अब देखना यह है कि चीन क्या प्रतिक्रिया देता है।
25 साल में पहली बार अमेरिका के इस स्तर के नेता का यूं ताइवान जाना चीन को सख्त नागवार गुजरा है। जब से पेलोसी की ताईवान जाने की खबरें आई थीं, तभी से चीन ने धमकी देने शुरू कर दी थी कि यदि ऐसा हुआ तो वह चुप नहीं बैठेगा और सख्त जवाब देगा। पेलोसी की यात्रा को चीन ने ताइवान खाड़ी की शांति को गंभीर नुकसान बताया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस यात्रा का "चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव पर गंभीर असर होगा।"
मंगलवार को पेलोसी के ताइवान पहुंचने के कुछ ही समय बाद चीन ने उसकी सीमा के नजदीक एक साझा वायु व नौसैनिक अभ्यास करने का ऐलान किया। उसने ताइवान के पूर्व में समुद्र में पारंपरिक मिसाइलों का परीक्षण भी किया। चीनी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि असली हथियारों और गोला-बारूद से ये अभ्यास पूरा हफ्ता जारी रहेंगे।
चीन को लेकर नैंसी पेलोसी का रुख जगजाहिर है और वह अपने पूरे राजनीतिक करियर के दौरान कई बार ऐसी बयानबाजी और गतिविधियों को अंजाम दे चुकी हैं, जो चीन के शब्दों में उसकी 'संप्रभुत और क्षेत्रीय एकता' को चुनौती हैं। लेकिन पेलोसी का इस वक्त ताइवान का दौरा करना सीधे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को चुनौती के रूप में देखा जा सकता है।