अमरीका सहित पूरा पश्चिम इस समय यूक्रेन युद्ध की दलदल में बुरी तरह से फंस चुका है। पश्चिम के वे प्रतिबंध, जिनके बारे मेंं सोचा जा रहा था कि वे पुतीन की पराजय और रूस की ओर से यूक्रेन युद्ध से पीछे हटने का कारण बनेंगे, वे ही प्रतिबंध अब यूरोप में गैस के मूल्य मे 700 प्रतिशत वृद्धि का कारण बन गए हैं। इसी बीच तेल के 380 डाॅलर प्रति बैरेल होने की बातें भी की जा रही हैं।
यूरोपीय आयोग की प्रमुख ने यूरोपीय संघ में आर्थिक तूफान की भविष्यवाणी की है। उर्सुला वाॅन डेयर ने कहा है कि रूस से पूरी तरह से प्राकृतिक गैस की आपूर्ति रुकने की स्थति में यूरोपीय संघ को एक आपातकालीन योजना की ज़रूरत होगी। इससे पहले अमरीकी बैंक जे पी मोरगन के एक विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है कि रूस कच्चे तेल के दैनिक निर्यात में अगर 5 मिलयन बैरेल की भी कमी कर दे तो तेल का वर्तमान मूल्य 110 डाॅलर से बढ़कर 380 डाॅलर तक पहुंच सकता है। ईंधन के मूल्यों में वृद्धि और मंहगाई के कारण अमरीकी बाज़ार को इस साल समस्या का सामना है। फाइनेंशियल टाइम्स के अनुसार गैस की क़ीमतों में यूरोप में ऊर्जा के दाम बढ़कर चार बराबर हो गए हैं। ऊर्जा के मूल्यों में ज़बरदस्त उछाल का मुख्य कारण यूक्रेन युद्ध है।
पश्चिम की ओर से रूस के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने के बाद से यह संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। यूक्रेन युद्ध आरंभ होने के बाद अमरीका और यूरोपीय देशों ने रूस की बहुत सी कंपनियों, संगठनों और वहां के लोगों पर पाबंदी लगा दी। यह प्रतिबंध इतने अधिक हैं कि वर्तमान समय में रूस ही वह एकमात्र देश है जिसपर सबसे अधिक प्रतिबंध लगे हुए हैं। इन कठोर प्रतिबंधों का मुख्य उद्देश्य यूक्रेन युद्ध में रूस को घुटने टेकने पर मजबूर करना था।
हालांकि इन प्रतिबंधों के बावजूद यूक्रेन युद्ध जारी है और रूस का कुछ नहीं बिगड़ा बल्कि उसने यूक्रेन के एक नगर पर पूरी तरह से क़ब्ज़ा कर लिया है। इसी बीच अन्तर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेन्सी ने बताया है कि मई के महीने में रूस में कच्चे तेल का उत्पादन लगभग लगभग साढे दस मिलयन बैरेल प्रतिदिन रहा। इस हिसाब से अप्रैल की तुलना में रूस की तेल की आय में लगभग 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस प्रकार से माॅस्को को तेल से क़रीब 20 अरब डाॅलर की इनकम हुई।
इसी बीच रूस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव ने बुधवार को पश्चिम की ओर से रूस को दंडित करने वाली शैली का मज़ाक़ उड़ाया। जानकारों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस को दंडित करने के उद्देश्य से कड़े प्रतिबंध लगाने वालों का यह मानना था कि इन प्रतिबंधों से रूस की कमर पूरी तरह से टूट जाएगी और वह उनके सामने झुक जाएगा लेकिन व्यवहारिक रूप में उसके उलट होता दिखाई दे रहा है। रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगवाने वालों को इस समय कई प्रकार की गंभीर आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।