अमेरिका में गोरे और काले के लड़ाई हुई भयानक, जल गए कई शहर
लेकिन हिन्दू बनाम मुसलमान के केस में यह मामला एतिहासिक तौर पर उल्टा पड़ जाता है।
अमेरिका में गोरे और काले दो नस्ल माने जाते हैं। गोरों में भी कई नस्ल हैं लेकिन फिलहाल गोरा-काला नस्लों में विवाद ही मुद्दा है। कुछ जहरीले वामी वहां हो रहे दंगे फसाद से काफी इम्प्रेस हैं और भारत में वैसा कराने के अपने मंसूबे जगजाहिर भी कर रहे हैं।
वे यहां हिन्दू-मुस्लिम नस्लों का विवाद चाहते हैं जिसमें हिन्दू को अपराधी और मुसलमान को पीड़ित के खाँचे में फिट किया जा सके। लेकिन यहां उनके लिए एक छोटी सी समस्या है। गोरा बनाम काला में तो यह बात आसानी से फिट होती है कि एतिहासिक तौर पर गोरा पीड़क है और काला पीड़ित।लेकिन हिन्दू बनाम मुसलमान के केस में यह मामला एतिहासिक तौर पर उल्टा पड़ जाता है।
कालों ने कभी गोरों पर राज नहीं किया लेकिन मुसलमानों ने हिन्दुओं पर किया है। कालों ने नस्लीय आधार पर अमेरिका के टुकड़े नहीं किये लेकिन ज्यादा पुराना इतिहास नहीं है कि मुसलमान नेताओं ने तो भारत के टुकड़े किये हैं। कालों ने अमेरिका के किसी स्टेट को गोरा विहीन नहीं किया लेकिन भारत में कश्मीर घाटी को तो हिन्दूविहीन किया गया है। पड़ोस में पाकिस्तान लगभग हिन्दूविहीन हुआ तो दूसरे पड़ोसी बांग्लादेश ने भी हिन्दुओं की जनसंख्या को नगण्य स्तर पर ला दिया। कालों ने तो वहां गोरों के ट्रेनों में, बाजारों में, धर्मस्थलों में, उनके कोर्ट कैम्पसों में और उनके बच्चों पर बम भी नहीं फोड़ा।
आशय यह है कि गोरा बनाम काला जैसा परसेप्शन बनाने में वामी यहीं फ़ेल हो जा रहे हैं। गोरा एतिहासिक तौर पर पीड़क की भूमिका में है लेकिन हिन्दू एतिहासिक तौर पर पीड़ित की भूमिका अदा कर रहा है। इसलिए यहां अमेरिका जैसा बवाल कराने में वामियों को अभी और अधिक मेहनत की आवश्यकता है। आखिर उन्हें दिन को रात और रात को दिन साबित करना है।