क्यों बार-बार उठी ये बात कि कोरोना के पीछे चीन की कोई साजिश है?
उन्हें आराम मिलता है. ऐसे किसी भी विवाद पर चर्चा करने के बाद लोगों को लग रहा है कि उनका बीमारी या किसी भी खतरे पर नियंत्रण हो रहा है.
कोविड-19 (COVID-19) में तूफानी बढ़त के बीच कई अफवाहें फैल रही हैं, जैसे ये वायरस चीन का जैविक हथियार है या फिर इसे घरेलू तरीके से ठीक किया जा सकता है. हालांकि अबतक किसी भी दावे में कोई सच्चाई नजर नहीं आई है. जानतें हैं, ऐसी 5 सबसे ऊपर चल रही कांस्पिरेसी थ्योरीज के बारे में. और किसलिए ये थ्योरीज इतनी पढ़ी-देखी जा रही हैं.
ये है पहली कांस्पिरेसी थ्योरी
चीन के वुहान से मामला आने और जल्दी ही पूरी दुनिया में फैलने के बीच लगातार ये माना जा रहा है कि चीन ने बीमारी की जानकारियां छिपाई थीं. ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं कि वहां पर इस बीमारी के बारे में सबसे पहले बताने वाले डॉक्टरों को धमकियां देकर चुप करा दिया गया. माना जा रहा है कि कोरोना वायरस के बारे में वुहान के डॉक्टरों को पहले ही पता चल चुका था, लेकिन उनकी आवाज दबाई गई. खासकर वुहान सेंट्रल अस्पताल में काम करने वाली डॉक्टर Ai Fen की आवाज. खोजी पत्रकारिता करने वाले शो 60 Minutes Australia के अनुसार फेन अब लापता हैं.
दूसरी कांस्पिरेसी थ्योरी
वायरस के फैलने के साथ ही एक थ्योरी ये आई कि बहुत सालों पहले ही किताबों में इस वायरस के बारे में लिखा जा चुका था. खासकर साल 1981 में छपी किताब The Eyes of Darkness का हवाला देते हुए ये बताया जा रहा है. इसमें एक पैराग्राफ में 'Wuhan-400' वायरस का जिक्र भी है जो चीन के वुहान की ही एक लैब में बनाया गया था.
ये थ्योरी भी जोर-शोर से चल रही है
कोरोना वायरस चीन के वेट मार्केट से नहीं फैला, बल्कि वहां की एक लैब Institute of Virology से लीक हो गया है. इस नेशनल बायोसेफ्टी लैब में खतरनाक वायरस और बैक्टीरिया पर शोध चलते रहते हैं. और इसी लैब से लापरवाही से वायरस लीक हो गया और वहां काम करने वालों के जरिए वुहान के वेट मार्केट तक पहुंच गया. कई अमेरिकन और यूरोपियन अखबारों में इस तरह की रिपोर्ट भी आ रही है. अबतक हालांकि इसकी कोई पुष्टि नहीं हो सकी है. ये भी कहा जा रहा है कि चीन के कुछ वैज्ञानिक जासूसी करते हुए कनाडा की National Microbiology Lab (NML) पहुंच गए थे, जहां उन्होंने दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक पैथोजन (वायरस और बैक्टीरिया) के साथ छेड़खानी की थी. इसका अंजाम ही कोरोना के रूप में सामने है. इस बात की भी कोई सच्चाई सामने नहीं आ सकी है.
चौथे विवाद की मानें तो...
माना जा रहा है कि COVID-19 वायरस ने सी-फूड मार्केट में जन्म लिया. इसकी पुष्टि चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्टों के जरिए हुई थी, जिसमें ये बताया गया है कि कोरोना के शुरुआती मामले सी-फूड मार्केट से जुड़े हुए थे लेकिन ये मार्केट 1 जनवरी को बंद कर दिया गया. इसके बाद से इंटरनेट पर लगातार मांसाहारी खाने पर चेतावनी दी जा रही है कि इसे खाने पर कोरोना वायरस फैल सकता है.
5जी इन्फ्रास्ट्रक्चर है दोषी
हाल ही में एक नया विवाद सामने आया है. इसके अनुसार 5जी इन्फ्रास्ट्रक्चर के कारण वुहान में कोरोना फैला. कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये बात उड़ने लगी और यहां तक कि यूके में लोग 5जी टावर को ही जलाने लगे. बीते 3 दिनों में टावर को आग के हवाले करने की कई घटनाएं आ चुकी हैं, यहां तक कि टावर पर काम कर रहे श्रमिकों को भी परेशान किया जा रहा है कि 5जी शुरू न हो सके. हालांकि यूके सरकार ने इस बात को अफवाह बताया है. ये बात इसलिए भी गलत साबित हुई क्योंकि जिन देशों में 5जी नहीं है, वायरस वहां भी फैल चुका है, जैसे ईरान और भारत.
क्या है कांस्पीरेसी थ्योरी के फैलने की वजह
इससे मुश्किल हालातों में भी सुरक्षा का अहसास मिलता है. जैसे कोरोना के संदर्भ में, जहां दुनियाभर में हाहाकार मचा हुआ है, ऐसी कोई भी थ्योरी लोगों को इत्मीनान देती है कि हां, हमें इसका राज पता है. आपस में इस तथाकथित ज्ञान को बांटने पर तसल्ली मिलती है, जो कि लॉकडाउन, आइसोलेशन और लगातार होती मौतों के बीच एक बड़ी चीज है. यही वजह है कि ऐसी कोई भी थ्योरी सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा प्रमोट हो रही है, जिसमें कोरोना वायरस का कोई भी 'राज' सामने आ चुका है.
और भी हैं खूबियां
कांस्पीरेसी थ्योरी की एक खासियत ये भी है कि इसे पढ़ने, सुनने और बांटने पर अकेलापन कम होता है. यूके में University of Kent की मनोवैज्ञानिक Karen M. Douglas के अनुसार इस वायरस में तमाम ऐसी खूबियां हैं जो लोगों को कांस्पिरेसी का मसाला देती हैं. इससे खुद को कमजोर मान रहे लोगों में एक किस्म का अधिकार बोध आता है और उन्हें आराम मिलता है. ऐसे किसी भी विवाद पर चर्चा करने के बाद लोगों को लग रहा है कि उनका बीमारी या किसी भी खतरे पर नियंत्रण हो रहा है.
खतरे भी हैं
हालांकि इसके कई खतरे भी हैं, जो रियल हैं और काफी खतरनाक हो सकते हैं. जैसे चीन के इस वायरस को फैलाने में हाथ होने पर यकीन करने वालों के मन में चीन के लोगों के लिए स्थायी कड़वाहट आ सकती है. या फिर इंटरनेट पर चल रहे किसी घरेलू उपचार को अपनाने पर किसी कोरोना संक्रमित की जान भी जा सकती है. एक फैक्ट चेकिंग साइट Snopes के अनुसार लोग किसी विवाद पर यकीन करें या न करें लेकिन वे सिर्फ इसलिए उसे सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं क्योंकि वो कोरोना के बारे में हैं.
इंस्टाग्राम की कुछ पोस्ट पर ये कहा जा रहा है कि बिल गेट्स ने ये वायरस फैलाया है ताकि दवा कंपनियों को फायदा हो. ईरान में इसे पश्चिमी देशों की साजिश माना जा रहा है तो अल्बामा में इसे भगवान का कहर बताया जा रहा है. यहां तक कि यूट्यूब पर चल रहे कई वीडियो के अनुसार ये वायरस इसलिए फैलाया गया है ताकिबढ़ती आबादी पर कंट्रोल किया जा सके. 5जी के कारण कोरोना वाले वीडियो को दुनियाभर के 1.9 मिलियन से ज्यादा लोग देख और शेयर कर चुके हैं. इससे किसी खास देश, धर्म, व्यक्ति या नस्ल के लिए भेदभाव का भाव बढ़ रहा है.