कोरोना वायरस को लेकर समय रहते दुनिया को सतर्क नहीं करने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की काफी आलोचना हो रही है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप WHO के काम काज पर सवाल उठा चुके हैं और फंड तक कम करने की बात कह चुके हैं. इसी बीच ताइवान ने दिसंबर का ईमेल जारी कर WHO पर कई आरोप लगाए हैं. (फाइल फोटो में WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग)
असल में ताइवान की गिनती उन देशों में होती है, जिसने अन्य देशों के मुकाबले कोरोना पर काफी अधिक नियंत्रण कर लिया और समय रहते जरूरी कार्रवाई की. लेकिन ताइवान का कहना है कि दिसंबर में उसने WHO से जानकारी मांगी थी लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया.
ताइवान ने 31 दिसंबर को WHO से कोरोना वायरस के एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने के संबंध में जानकारी मांगी थी. लेकिन ताइवान का कहना है कि WHO ने पर्याप्त जानकारी देने से मना कर दिया.
ताइवान ने शुरुआत में ही चीन के वुहान के 7 मामलों का जिक्र करते हुए WHO को आगाह करने की कोशिश की थी. लेकिन ताइवान का आरोप है कि WHO ने वायरस के खतरे को कम करके देखा और ऐसा चीन को खुश करने के लिए किया.
ताइवान चीन से करीब 130 किमी दूर स्थित देश है. करीब 70 साल पहले ताइवान ने खुद को स्वतंत्र देश घोषित कर दिया था. हालांकि, चीन ताइवान को एक स्वतंत्र देश नहीं मानता है. चीन ने WHO पर दबाव बनाकर ताइवान को WHO के सदस्य देशों की सूची से बाहर रखा है.
दूसरी ओर, ताइवान के आरोपों के बाद WHO से इस बात से इनकार किया है कि ताइवान ने उसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कोरोना फैलने के बारे में आगाह किया था.
ताइवान में अब तक कोरोना वायरस के सिर्फ 393 मामले सामने आए हैं. वहीं सिर्फ 6 लोगों की मौत हुई है. वहीं, दुनिया में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या 1,937,268 से अधिक हो गई है.