बहुत सारी कहानियां छिपी हुई हैं आकाशगंगा के नक्शों में

Update: 2022-07-05 12:17 GMT

एक खगोलविद का काम कभी खत्म नहीं होता. यूरोप के गाइआ अभियान ने हमारी आकाशगंगा के अरबों सितारों, ग्रहों और एस्टेरॉयडों का एक विहंगम खाका तैयार किया है. लेकिन, यह काम है कि पूरा ही नहीं होता. अपनी आकाशंगा की कल्पना करें. आप इसे सितारों और ग्रहों से भरा पाएंगे. आपको कुछ उपग्रह और एस्टेरॉयड यानी क्षुद्रग्रह भी दिख सकते हैं. इनमें से ज्यादातर चीजें हमारे जेहन में बसी हैं, लेकिन खगोलविद अंतरिक्ष अभियानों के जरिए अरबों ब्रह्मांडीय पिंडो को खंगालते हैं. जैसे यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ईएसए) की गाइआ दूरबीन है. ईएसए के मुताबिक गाइआ "हमारी गैलेक्सी, आकाशंगगा का एक थ्री-डी नक्शा खींचने वाला एक महत्वाकांक्षी अभियान है." इसी प्रक्रिया में गैलेक्सी की संरचना, निर्माण और उत्पत्ति का भी पता चला है. गाइआ पहले ही इस बात का खुलासा कर चुकी है कि सौर प्रणाली में हमारी जानकारी से करीब 10 गुना ज्यादा एस्टेरॉयड हैं. 60 हजार से ज्यादा एस्टेरॉयडों की भौतिक खूबियों- रूप, आकार, रंग और गति- के बारे में और भी जानकारी हमें मिल चुकी है. इन जानकारियों से हमें यह पता चल सकता है कि हमारी सौर प्रणाली किस चीज की बनी है, यह कैसे अस्तित्व में आई थी और कैसे समय के साथ विकसित होती रही.

गाइआ अभियान ने अपना तीसरा और सबसे बड़ा डाटा जखीरा 13 जून 2022 को जारी किया था. इसमें आकाशगंगा में 'स्टारक्वेक्स और स्टेलर डीएनए' का खुलासा हुआ था. गाइआ अभियान ने हमारी आकाशगंगा में कम से कम दो अरब पिंडों की शिनाख्त की है. तीसरे डाटा सेट से वैज्ञानिक अब यह समझा सकते है कि वे वास्तव में क्या देख रहे हैं, क्योंकि हम अब विभिन्न तारों से निकलने वाले प्रकाश के रंग को देख सकते हैं. यह ऐसा है, जैसे वर्णांधता यानी कलर ब्लाइंडनेस से जूझसे किसी व्यक्ति को पहली मर्तबा रंग दिखे हों. पहली बात- एक तारे का रंग उन धातुओं और गैसों का संकेत देता है, जिनसे वह बना है. अपने तत्वों के आधार पर एक तारा अलग-अलग रंग निकालता है. गाइआ स्पेक्ट्रोस्कोपी नाम की एक प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है, जो इन सामग्रियों और इनसे निर्मित होने वाले रंगों के बीच के जुड़ाव का अध्ययन करती है. वैज्ञानिकों के मुताबिक इससे हमें गैलेक्सी का फिंगरप्रिंट मिल पा रहा है.

दूसरी बात- इन रंगो के आधार पर वैसे ही इलाकों में बनने वाले तारों की ओर भी हम इंगित कर सकते हैं. इसका मतलब हम समय में पीछे देख सकते हैं और समझ सकते है कि कैसे विभिन्न खगोलीय आबादियां समय के साथ उभरकर आई थीं और भविष्य में तारे किस तरह से बनेंगे. बहुत सारी अंतरिक्ष दूरबीनें एक निर्धारित रेंज खंगालती हैं, लेकिन गाइआ को अब तक की सबसे व्यापक कवरेज रेंज हासिल है. धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर सूरज से उलट दिशा में स्थित गाइआ- धरती के साथ-साथ सूरज का चक्कर काटती है, लेकिन उसकी ओर नहीं देखती है. वह 45 डिग्री के कोण पर घूमती है और हर छह घंटे पर अपनी ही उर्ध्वाकार धुरी का चक्कर भी काटती है. इसकी बदौलत गाइआ को देखने के लिए एक बहुत ज्यादा व्यापक क्षेत्र मिल जाता है. इतनी रेंज आकाशगंगा में अब तक किसी के पास नही थी. गाइआ दूरबीन आकाशगंगा के सबसे तेज भागते तारों को देखती है. यह आकाशगंगा को दिक् और वेग के छह आयामों में खंगाल सकती है. इसकी मदद से खगोलशास्त्री करीब 3.30 करोड़ तारों की गति ट्रैक कर पाए और जान पाए कि वे हमारे सोलर सिस्टम के करीब आ रहे हैं या उससे दूर जा रहे हैं. शोधकर्ताओं को भी तारों के निर्माण को समझने में मदद मिलती है. गाइआ मिशन के मैनेजर उवे लैमर्स ने डीडब्लू को बताया कि यह जानकारी सूरज और सौर प्रणाली के निर्माण और इतिहास के बारे में नई रोशनी डाल सकती है.

आप कैसे मालूम करेंगे कि तारों में कोई भूकंप आया है? आपको जानकर हैरानी होगी कि कथित नक्षत्रीय भूकंपो की शिनाख्त के लिए गाइआ सूरज की सतह पर सूनामी जैसी हलचलें खंगाल सकती है. इन भूकंपो को तारों की "टिमटिमाहट" और भूकंपों के दौरान उभरने वाली तरंगो के जरिए देखा जा सकता है, जिन्हें फिर ध्वनि में तब्दील किया जाता है. इन आकाशीय भूकंपों के बारे मे जानकर खगोलशास्त्रियों को यह बेहतर ढंग से समझ आया कि तारों के भीतर क्या हो रहा है. इससे तारों की उम्र और आकार का भी एक अंदाजा मिलता है. गाइआ हमारी गैलेक्सी की बाइनरी नक्षत्र प्रणालियों को भी देखती है. इन प्रणालियों में तारों के जोड़े हो सकते हैं या तारे और ब्लैक होल्स हो सकते हैं. इनमें एक दूसरे का चक्कर काटने वाले तारे और ग्रह हो सकते हैं. इन पिंडो को देखने से शोधकर्ताओं को किसी तारे या ब्लैक होल के मास यानी द्रव्यमान की गणना करने में मदद मिल सकती है. ब्लैक होल हमें प्रकृति के नियमों के बारे में बहुत कुछ सिखाते हैं. गाइआ के आगामी डाटा खुलासे में वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वे 20,000 से ज्यादा विशाल बाहरी ग्रहों (एक्सोप्लैनट्स) के बारे में विस्तार से जानकारी जुटा पाएंगे. यह जानकारी अपने मेजबान सितारों की गति पर इन बाहरी ग्रहों के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव मापकर हासिल की जाएगी. इससे हमारी अपनी सौर प्रणाली में ग्रहों के निर्माण के बारे में हमें ज्यादा स्पष्टता हासिल हो पाएगी.

Tags:    

Similar News