हिंदी की जानी-मानी लेखिका कृष्णा सोबती का 94 की उम्र में निधन

कृष्णा सोबती हिंदी की प्रमुख गद्य लेखिका थीं. उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर है.

Update: 2019-01-25 05:27 GMT
Krishna Sobti, 1925 - 2019

नई दिल्ली : हिंदी की जानी मानी साहित्यकार कृष्णा सोबती का शुक्रवार को निधन हो गया. वह 94 वर्ष की थीं. पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी. कृष्णा सोबती हिंदी की प्रमुख गद्य लेखिका थीं. उनके निधन की खबर से साहित्य जगत में शोक की लहर है. 

उन्हें कुछ समय पहले सीने में तकलीफ के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था. कृष्णा सोबती का जन्म पाकिस्तान में हुआ था. वह अपने उपन्यासों में राजनीति और समाज की नब्ज टटोलने के साथ ही मध्यमवर्गीय महिला की बोल्ड आवाज बनकर सामने आईं.

कृष्णा सोबती का जन्म 18 फरवरी 1925 को हुआ था. उपन्यास और कहानी विधा में उन्होंने जमकर लेखन किया. उनकी प्रमुख कृतियों में डार से बिछुड़ी, मित्रो मरजानी, यारों के यार तिन पहाड़, सूरजमुखी अंधेरे के, सोबती एक सोहबत, जिंदगीनामा, ऐ लड़की, समय सरगम, जैनी मेहरबान सिंह जैसे उपन्यास शामिल हैं. बादलों के घेरे नामका उनका कहानी संग्रह काफी चर्चित रहा है.

कृष्णा सोबती को कई सम्मान भी मिले. इनमें साहित्‍य अकादमी सम्मान, साहित्य शिरोमणि सम्मान, शलाका सम्मान, मैथिली शरण गुप्त पुरस्कार, साहित्य कला परिषद पुरस्कार, कथा चूड़ामणि पुरस्कार शामिल है. उन्हें साल 2017 का ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की घोषणा भी की गई थी.

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