जलियांवाला बाग स्मारक के नए स्वरूप को लेकर केंद्र सरकार घिरी, जाने पूरा मामला
आरोप लग रहे हैं कि रंग-बिरंगी रोशनी और तेज संगीत के माहौल से शहीदों की मर्यादा का अपमान हो रहा है
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा जलियांवाला बाग स्मारक के नए स्वरूप को लेकर विवाद हो गया है.विपक्षी दलों के नेता और कई इतिहासकारों ने इसकी आलोचना कर रहे है.वही,कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगवार को ट्वीट कर इसे शहीदों का अपमान बताया है.दरअसल, आरोप लग रहे हैं कि रंग-बिरंगी रोशनी और तेज संगीत के माहौल से शहीदों की मर्यादा का अपमान हो रहा है.जलियांवाला बाग स्मारक के नए स्वरूप का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त को किया था.
राजनीतिक दलों के नेताओं और कई इतिहासकारों ने स्मारक के नए स्वरूप पर ऐतराज जताया है. अमृतसर के इस ऐतिहासिक स्थल पर कई बदलाव लाए गए हैं. मुख्य स्मारक की मरम्मत की गई है, शहीदी कुएं का जीर्णोद्धार किया गया है, नए चित्र और मूर्तियां लगाई गई हैं और ऑडियो-विजुअल और थ्रीडी तकनीक के जरिए नई गैलरियां बनाई गई हैं. पुराना स्वरूप गायब इसके अलावा लिली के फूलों का एक तालाब बनाया गया है और एक लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया गया है.
आपत्ति मुख्य रूप से लाइट एंड साउंड शो और बाग तक ले जाने वाले ऐतिहासिक संकरे रास्ते में किए गए परिवर्तन को लेकर व्यक्त की जा रही है. पहले, इस संकरे रास्ते के दोनों सिर्फ साधारण और कोरी दीवारें थीं. अब इन दीवारों पर टेक्सचर पेंट लगा दिया गया है और इन पर लोगों की आकृतियां उकेर दी गई हैं. इन आकृतियों को हंसते, मुस्कुराते हुए चेहरे भी दिए गए हैं.
डेनिश-ब्रिटिश इतिहासकार किम वैग्नर का कहना है कि बाग तक जाने वाले रास्ते का स्वरूप इस कदर बदल दिया गया है कि अब वो बिलकुल भी वैसा नहीं दिखता जैसा वो 13 अप्रैल 1919 की उस शाम को था जब अंग्रेज जनरल डायर ने वहां इकट्ठा हए निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलवा दीं थी. विरासत का सवाल ब्रिटेन की संसद में भारतीय मूल की सांसद प्रीत कौर गिल ने भी स्मारक के इस नए रूप की आलोचना की है और इसे "हमारे इतिहास को मिटाने" वाला कदम बताया है.
भारतीय इतिहासकार एस इरफान हबीब ने इसे ऐतिहासिक स्मारकों का 'कॉर्पोरेटाइजेशन' बताया है और कहा है कि ऐसा करने से स्मारकों की विरासत का मूल्य नष्ट हो जाता है. हालांकि बीजेपी से राज्य सभा के सदस्य श्वैत मलिक का मानना है कि दीवारों पर बनाई गई ये आकृतियां वहां आने वालों से उनका परिचय कराएंगी जो हत्याकांड के दिन बाग में मौजूद थे और मारे गए थे. मलिक जलियांवाला बाग ट्रस्ट के ट्रस्टियों में से एक हैं.