लोकतंत्र हमारे देश का और प्रजामन का स्वभाव है : गृह मंत्री अमित शाह

लोकतंत्र में सबसे बड़ी है व्यक्ति की स्वतंत्रता, जो सीधे क़ानून और व्यवस्था के साथ जुड़ी होती है, बिना कानून व्यवस्था के लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता..

Update: 2021-09-04 11:54 GMT

पीआईबी, नई दिल्ली : केन्द्रीय गृह मंत्री,  अमित शाह आज पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (BPR&D) के 51वें स्थापना दिवस के मौक़े पर नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम में केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय, केन्द्रीय गृह सचिव, आई बी के निदेशक, BPR&D के महानिदेशक सहित गृह मंत्रालय, पुलिस और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों  के कई वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे। साथ ही देश के विभिन्न हिस्सों से पुलिस और CAPFs के अधिकारी भी वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने इस अवसर पर सर्वश्रेष्ठ पुलिस प्रशिक्षण संस्थानों को ट्रॉफ़ियों और पुरस्कारों से अलंकृत किया और पुलिस प्रशिक्षण में उत्कृष्टता के लिए पदक भी प्रदान किए। अमित शाह ने BPR&D के प्रकाशनों का विमोचन भी किया और हिन्दी लेखन में पंडित गोविन्द बल्लभ पंत पुरस्कार भी प्रदान किए। कार्यक्रम के दौरान केन्द्रीय गृह मंत्री ने टोक्यो ओलिंपक 2020 की रजत पदक विजेता  मीराबाई चानू को सम्मानित भी किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि किसी भी संस्थान के लिए 51 वर्षों तक अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना बहुत बड़ी बात है और BPR&D ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है और अपने काम का दम भी दिखाया है। उन्होंने कहा कि अपनी प्रासंगिकता बनाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती होती है क्योंकि समय बदलता रहता है और समय के अनुरूप संस्थाओं को भी बदलना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि BPR&D का काम बहुत महत्वपूर्ण काम है और जब वो पहले यहां आए थे तो उन्होंने आगंतुक पुस्तिका में लिखा था कि BPR&D के बिना अच्छी पुलिसिंग की कल्पना नहीं हो सकती।  अमित शाह ने कहा कि संघीय ढांचे में क़ानून और व्यवस्था राज्य का विषय होता है और संघीय ढांचे को मज़बूती देने के लिए सभी राज्यों की क्रियान्वयन ऐजेंसी, यानी पुलिस, और उसके अनुसंघिक संगठनों को जोड़ने वाली एक कड़ी बहुत महत्वपूर्ण होती है।

उन्होंने कहा कि चुनौतियां देश के परिप्रेक्ष्य में आती हैं, अलग-अलग पार्टी और विचारधारा की सरकारें होती हैं, क्षेत्रीय दलों की भी होती हैं, इन सबसे हटकर अगर क़ानून और व्यवस्था को चुनौतियों के लिए तैयार करना है तो उसके लिए उसे जोड़ने वाली एक कड़ी चाहिए नहीं तो देश की क़ानून व्यवस्था बिगड़ जाएगी, और 51 साल में BPR&D ने देश में क़ानून और व्यवस्था की दृष्टि से सभी राज्यों को जोड़ने वाली कड़ी का काम बहुत बख़ूबी किया है।

देश के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नीतियां और चुनौतियां हैं और राज्यों के लिए इन चुनौतियों का सामना करना संभव नहीं था जब तक एक केन्द्रीय व्यवस्था इन सभी चुनौतियों का आंकलन करते हुए, इसके वैश्विक मापदंडों का अभ्यास करते हुए, भारत के पुलिस बल को अपग्रेड करने के लिए दिन-रात काम करे।

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