डॉ कुमार विश्वास ने गोपाष्टमी पर कही ये बड़ी बात, गाय को दुलारते हुए वीडियो डालकर दिया बड़ा संदेश
अर्थात् जो इस सारे जड़-चेतन चराचर जगत् में व्याप्त है,भूत व भविष्य की जननी उस गौ माता को मैं शीष झुकाकर प्रणाम करता हूँ
आज गोपाष्टमी है ! मेरे परिवार में, अपने घर-आँगन में, स्वयं मैं तीन पीढ़ियों से गाय-बछड़े-बछिया-बैल और नंदी देखता हुआ बड़ा हुआ हूँ ! भारत में गाय और गोवंश दो संदर्भों में प्रचलित है ! एक वे सच्चे-अच्छे लोग जो ईश्वर की ओर से मनुष्यों के परिवार-संकुल में भेजे गए इस बेहद प्यारे-सरल व उपयोगी प्राणी की महत्ता को जानते-समझते हैं, इनके साथ रहते हैं, इनका पालन-पोषण व संवर्द्धन करते हैं और इस प्राणी-कुल से लाभान्वित होते हैं ! दूसरे वे वितंडावादी जिन्होंने कभी न गोवंश पाला है, न गोशाला में स्वयंसेवा की है, न गायों की वास्तविक ज़रूरत और उनके कष्टों के विषय में पता है, न निवारण की सोचते हैं किंतु गोवंश के विषय पर छाती-माथा कूटने व गला फाड़ने में सबसे अव्वल हैं ! ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपको सदैव पहली श्रेणी में बनाए रखे.
कोरोना-काल में खेत पर ज़्यादा रहा तो मैं वहाँ से अपने गोवंश से आपका ज़्यादा परिचय करा सका ! हमारी बछिया लाड़ो व प्यारी, हमारे बछड़े भीष्म व वल्लभ, हमारी गाएँ राधा,गंगा,वापी-तापी के साथ-साथ हमारे गोसेवक सोनू व कुलवंत भी हमारे फ़ेसबुक परिवार में घुलमिल गए ! आजकल मुझे बहुत सारे संदेश-मेल आते हैं जिसमें लोगों ने गाय पालनी शुरु की हैं ! यह शुभ और स्वास्थ्यकारी संकेत है.
गाय का महत्व समझना है और गाय को बचाना है तो सबसे पहले अपने घरों की रसोइयों में पश्चिमी बाज़ारवाद द्वारा ज़बरदस्ती घुसाए गए फ़लाना आइल और ढिमाका फूड आइल को घर से बाहर फेंकिए! गाय के दूध-घी-दही-पनीर को अपनी ज़रूरत बनाइए ! गाय का तो छोड़ ही दीजिए आपका, आपके बुजुर्गों का और आपकी संतानों का जो भला होगा वो आप याद करेंगे और मुझे धन्यवाद देंगे.
"यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।
तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्...।।"
(अर्थात् जो इस सारे जड़-चेतन चराचर जगत् में व्याप्त है,भूत व भविष्य की जननी उस गौ माता को मैं शीष झुकाकर प्रणाम करता हूँ)