EWS Reservation: जानें- कौन हैं वो 5 जज जिनकी बेंच में हुई सुनवाई, 3 जजों ने पक्ष में सुनाया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है।

Update: 2022-11-07 05:54 GMT

Supreme Court decision on EWS Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है। 5 जजों की बेंच में से तीन जजों ने संविधान के 103 वें संशोधन अधिनियम 2019 को सही माना है।

प्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच में से चार जजों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण के पक्ष में फैसला सुनाया. बता दें कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली 30 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल की गई थीं। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने 27 सितंबर को हुई पिछली सुनवाई में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

जानें- कौन हैं वो 5 जज जिनकी बेंच में हुई सुनवाई

 जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पादरीवाला ने आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को आरक्षण देने के फैसले को सही बताया। वहीं, चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट्ट ने EWS आरक्षण के खिलाफ फैसला सुनाया। इससे साफ हो गया है कि पांच में से तीन जजों ने एकमत फैसला दे दिया और अब साफ हो गया है कि यह सिस्टम भारत में लागू होगा।

याचिकाकर्ताओं ने क्या दिया है दलील

इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि EWS आरक्षण का मकसद सामाजिक भेदभाव झेलने वाले वर्ग का उत्थान था। लेकिन अगर इसका आधार गरीबी है तो इसमें SC,ST और OBC को भी जगह मिले। इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलील में कहा है कि EWS कोटा 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करता है।

सरकार का क्या है इस पर पक्ष

EWS आरक्षण पर सरकार की ओर से कहा गया है कि EWS तबके को सामाजिक और आर्थिक रूप से समानता दिलाने के लिए ये व्यवस्था जरूरी है। केंद्र सरकार की ओर से इस पर कहा गया कि इस व्यवस्था से ना तो आरक्षण पर और ना ही किसी दूसरे वर्ग को इसका नुकसान है। वहीं 50 फीसदी आरक्षण की सीमा की बात पर केंद्र सरकार का कहना है कि जिस 50 प्रतिशत सीमा की बात की जा रही है, वो कोई संवैधानिक व्यवस्था नहीं है। सरकार ने कहा कि ये सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से आया है, तो इस स्थिति में ऐसा नहीं है कि इसके परे जाकर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

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