गीतांजलि श्री को मिला इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार, हिंदी की पहली किताब को मिला सम्मान
भारतीय भाषा की पहली किताब टॉम्ब ऑफ़ सैंड यानि रेत समाधि को पहली बार बुकर अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है।
साहित्य जगत से जुड़े लोगों के साथ सभी भारतीयों के लिए एक अच्छी खबर है। भारतीय भाषा की पहली किताब टॉम्ब ऑफ़ सैंड यानि रेत समाधि को पहली बार बुकर अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिला है। इस पुस्तक की लेखिका गीतांजलि श्री हैं। अब तक के इतिहास में हिंदी का यह पहला उपन्यास है जिसे यह सम्मान मिला है। खास बात यह कि यह सम्मान हिंदी की महिला लेखिका को मिला है। निर्णायक मंडल ने गीतांजलि श्री की रचना का चयन करने की वजह बताते हुए कहा कि उनका भाषा प्रवाह हमें आश्चर्यजनक रूप से सहज ही 80 वर्ष की उस महिला और उसके अतीत की ओर ले जाता है।
गीतांजलि श्री के उपन्यास 'रेत समाधि' के अंग्रेजी अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ़ सैंड' है, जिसने 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीत लिया है। हिंदी में यह उपन्यास राजकमल प्रकाशन से छापा है। 'रेत समाधि' हिंदी की पहली ऐसी कृति है जो अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट और शॉर्ट लिस्ट तक पहुंची और आखिरकार बुकर पुरस्कार जीत भी ली।बता दें कि बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट में गीतांजलि श्री की 'रेत समाधि' के अलावा 13 अन्य कृतियां भी शामिल थीं। बता दें कि बुकर पुरस्कार की लॉन्ग लिस्ट में गीतांजलि श्री की 'रेत समाधि' के अलावा 13 अन्य कृतियां भी शामिल थीं। गीतांजलि श्री का 'रेत समाधि' उनका पांचवां उपन्यास है। उनकी पहली कृति 'माई' है। इसके बाद उनका उपन्यास 'हमारा शहर उस बरस' नब्बे के दशक में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास सांप्रदायिकता पर केंद्रित संजीदा उपन्यासों में एक है। इसके कुछ साल बाद 'तिरोहित' आया। इस उपन्यास की चर्चा हिंदी में स्त्री समलैंगिकता पर लिखे गए पहले उपन्यास के रूप में भी होती रही है। चौथा उपन्यास 'खाली जगह' है और कुछ साल पहले 'रेत समाधि' प्रकाशित हुआ।