जानिए- 30 मई को ही क्यों मनाया जाता है 'हिंदी पत्रकारिता दिवस'

भारत में पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' (Udant Martand) 30 मई को ही प्रकाशित हुआ था

Update: 2022-05-30 05:19 GMT

देश में हर साल 30 मई को 'हिंदी पत्रकारिता दिवस' (hindi patrakarita divas) मनाया जाता है. अबआपको ये बताना बेहद जरुरी हैं की 30 मई को ही क्यों हिंदी पत्रकारिता दिवस मनाया जाता है. तो हम आपको बताते हैं, 195 साल पहले भारत में पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र 'उदन्त मार्तण्ड' (Udant Martand) 30 मई को ही प्रकाशित हुआ था. इसके पहले प्रकाशक और संपादक पंडित जुगल किशोर शुक्ल का हिंदी पत्रकारिता के जगत में विशेष स्थान है.

पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से 30 मई, 1826 को "उदन्त मार्तण्ड नाम का एक साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर शुरू किया था. शुरु से ही हिंदी पत्रकारिता को बहुत चुनौतियों का सामना करना पड़ा. समय के साथ इनका केवल स्वरूप बदला. लेकिन तमाम चुनौतियों के साथ ही हिंदी पत्रकारिता आज ने वैश्विक स्तर पर अपने उपस्थिति दर्ज कराई है. अतः हिंदी के उत्थान के लिए किया गया यह एक प्रयोग था. इसीलिए इस दिवस को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मानते हैं. यह पत्र एक साप्ताहिक के रूप में कलकत्ता से प्रकाशित होना प्रारम्भ हुआ था.

इस साप्ताहिक समाचार पत्र के पहले अंक की 500 कॉपियां छपी लेकिन हिंदी भाषी पाठकों की कमी के कारण उसे ज्यादा पाठक नहीं मिल पाए. वहीं हिंदी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण समाचार पत्र डाक द्वारा भेजना पड़ता था जो एक महंगा सौदा साबित हो रहा था. इसके लिए जुगल किशोर ने सरकार से बहुत अनुरोध किया कि वे डाक दरों में कुछ रियायत दें लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई

यह समाचार पत्र हर मंगलवार पुस्तक के प्रारूप में छपता था. इसकी कुल 79 अंक ही प्रकाशित हो सके. 30 मई 1826 को शुरू हुआ यह अखबार आखिरकार 4 दिसंबर 1827 को बंद हो गया. इसकी वजह आर्थिक समस्या थी. इतिहासकारों के मुताबिक कंपनी सरकार ने मिशनरियों के पत्र को तो डाक आदि की सुविधा दी थी, लेकिन "उदंत मार्तंड" को यह सुविधा नहीं मिली. इसकी वजह इस अखबार का बेबाक बर्ताव था.

कौन थे पंडित जुगल किशोर शुक्ल

उदन्त मार्तण्ड के संपादक और प्रकाशक जुगल किशोर शुक्ल कानपूर के रहने वाले थे. वे एक अधिवक्ता थे. उस समय भारत की राजधानी कोलकाता हुआ करती थी तो वह कार्य के लिए यहां आ गए. उन्होंने वहां हिन्दुस्तानियों के हित के लिए आवाज उठाने का विचार किया और इसी विचार से उदन्त मार्तण्ड को शुरू करने की योजना बनी.

कानपुर में जन्मे शुक्ल संस्कृत, फारसी, अंग्रेजी और बांग्ला के जानकार थे और 'बहुभाषज्ञ'की छवि से मंडित वे कानपुर की सदर दीवानी अदालत में प्रोसीडिंग रीडरी यानी पेशकारी करते हुए अपनी वकील बन गए. इसके बाद उन्होंने 'एक साप्ताहिक हिंदी अखबार 'उदंत मार्तंड'निकालने क प्रयास शुरू किए. तमाम प्रयासों के बाद उन्हें गवर्नर जनरल की ओर से उन्हें 19 फरवरी, 1826 को इसकी अनुमति मिली.

वैसे तो उदंत मार्तंड से पहले 1780 में एक अंग्रेजी अखबार की शुरुआत हुई थी. फिर भी हिंदी को अपने पहले समाचार-पत्र के लिए 1826 तक प्रतीक्षा करनी पड़ी. 29 जनवरी 1780 में आयरिश नागरिक जेम्स आगस्टस हिकी अंग्रेजी में 'कलकत्ता जनरल एडवर्टाइजर' नाम का एक समाचार पत्र शुरू किया था, जो भारतीय एशियाई उपमहाद्वीप का किसी भी भाषा का पहला अखबार था. 17 मई, 1788 को कानपुर में जन्मे युगल किशोर शुक्ल, ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी के सिलसिले में कोलकाता गए.

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