Pegasus : न्यूयॉर्क टाइम्स का दावा- 2017 में रक्षा सौदे के साथ हुई थी पेगासस की डील, विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर
अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि साल 2017 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल गए थे तो दो अरब डॉलर का रक्षा सौदा हुआ था.
कथित पेगासस जासूसी कांड को लेकर एक बार फिर देश की राजनीति गर्म है. अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि साल 2017 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजरायल गए थे तो दो अरब डॉलर का रक्षा सौदा हुआ था. इस सौदे में पेगासस को लेकर भी डील हुई थी.
रिपोर्ट में दावे को लेकर कोई सबूत नहीं
हालांकि अखबार की रिपोर्ट में इस बात का कोई सबूत नहीं दिया गया है. अब कांग्रेस इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रही है. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही पूछा है कि अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप क्यों हैं.
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और संसद को गुमराह किया- कांग्रेस
कांग्रेस सांसद शक्ति सिंह गोविल ने ट्वीट किया, ''नरेंद्र मोदी चुप हैं? न्यूयॉर्क टाइम्स ने खुलासा किया कि करदाताओं के 300 करोड़ का भुगतान इजरायली NSO को किया गया. इसका मतलब है कि हमारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट और संसद को गुमराह किया.
विपक्ष की बात सच साबित हुई, ये हिटलरशाही है- शिवसेना
शिवसेना ने भी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट सामने आने के बाद बीजेपी पर हमला बोला है. शिवसेना ने कहा कि रिपोर्ट से ये साफ हो गया है कि विपक्ष ने जो मुद्दा उठाया था वो सही था. संजय राउत ने कहा, 'यह लोकतंत्र है क्या? यह तो बहुत ही घटिया तरह की हिटलरशाही है. जो बात हमने एक साल पहले रखी थी. राहुल जी ने भी रखी थी. हम लोगों ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया. बीजेपी के बड़े-बड़े लोगों पर भी निगरानी रखी जी रही थी. हमारे परिवार के बैंक अकाउंट चेक किए जा रहे हैं. हमारे फोन सुने जा रहे हैं.''
क्या है पेगासस?
पेगासस एक निगरानी स्पाइवेयर है. इसको इजरायल की कंपनी NSO ने तैयार किया है. दावा है कि इसको अधिकृत सरकारी एजेंसियों को बेचा गया था. इस स्पाइवेयर की मदद से स्मार्ट फोन के जरिए जासूसी हो सकती है.
क्या है पेगासस जासूसी मामला
पेगासस स्पाइवेयर के जरिए विपक्ष ने मोदी सरकार पर जासूसी के आरोप लगाए थे. दावा था कि इस स्पाइवेयर की मदद से 300 से ज्यादा भारतीय नंबरों की जासूसी की है. इसमें पत्रकार और नेताओं की निगरानी करना भी शामिल है. मोदी सरकार पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कुछ मंत्रियों और जजों समेत कई वरिष्ठ लोगों की कथित जासूसी का आरोप लगा था. बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा.