International Women's Day: मां-बेटी की अकेली जोड़ी जो बनीं राज्यपाल, अब भी अजेय बना हुआ है यह कीर्तिमान
महिला दिवस के अवसर पर हम उन मां-बेटी की जोड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं पहले मां किसी राज्य की राज्यपाल बनीं फिर कुछ साल बाद उनकी बेटी भी राज्यपाल बनीं.
International Women Day 2022: हिंदुस्तान में आपको ऐसे अनगिनत पीढ़ियां मिल जाएंगी जिसमें माता-पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए उनके बच्चों ने कामयाबी के झंडे गाड़े. खेल की दुनिया हो, बिजनेस हो या फिर राजनीति की दुनिया, कई परिवारों के खाते में पीढ़ी दर पीढ़ी कामयाबी के कारनामे दर्ज हैं. देश में पिता के बाद बेटी प्रधानमंत्री बनीं तो कई राज्यों में पिता के बाद राज्य की कमान उनके बेटे-बेटियों ने संभाले. महिला दिवस (International Women Day) के अवसर पर हम उन मां-बेटी (Mother-Daughter) की जोड़ी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें पहले मां किसी राज्य की राज्यपाल (Governer) बनीं फिर कुछ साल बाद उनकी बेटी भी राज्यपाल बनीं. ऐसा करने वाला देश में एक ही परिवार है और वह है नायडू परिवार (Naidu Family).
पिता के बाद बेटे की एक ही क्षेत्र में कामयाबी की अनगिनत दास्तां हैं, लेकिन राज्यपाल के पद पर पहुंचने वाली मां-बेटी की सिर्फ एक ही जोड़ी है. इस संबंध में सबसे दिलचस्प बात यह है कि देश के किसी राज्य की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव जिस मां को हासिल है, उनके बाद किसी राज्य की दूसरी महिला राज्यपाल बनने का गौरव उनकी बेटी को हासिल हुआ. इस मां-बेटी की जोड़ी की एक और खास बात है और वह है कि दोनों स्वतंत्रता सेनानी रही हैं और देश की आजादी के लिए खासा संघर्ष किया है. पद्मजा नायडू हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की संयुक्त संस्थापक भी रही हैं.
आजादी के साथ ही मिली पहली महिला राज्यपाल
हम यहां बात कर रहे हैं, नायडू परिवार की. महान स्वतंत्रता सेनानी सरोजनी नायडू देश की पहली महिला राज्यपाल हैं. 15 अगस्त 1947 को जब हमें आजादी मिली तो देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने साथ मिलकर आजादी के लिए संघर्ष करने वाली सरोजनी नायडू को उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाने का फैसला लिया. वह न सिर्फ उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल रहीं बल्कि देश की पहली महिला राज्यपाल बनीं.
हालांकि वह इस पद पर ज्यादा समय तक नहीं रह सकीं. 15 अगस्त 1947 को पद संभालने वाली सरोजनी की मृत्यु 2 मार्च 1949 को हो गई और इस तरह वह इस पद पर 1 साल और 199 दिन ही बनी रह सकीं.
7 साल बाद देश को मिली दूसरी महिला राज्यपाल
सरोजनी नायडू के निधन के करीब 7 साल बाद देश को दूसरी महिला राज्यपाल मिली. यह कोई और नहीं बल्कि सरोजनी की बेटी पद्मजा नायडू रहीं, जिन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया. पद्मजा 3 नवंबर 1956 को पश्चिम बंगाल की पहली और देश की दूसरी महिला राज्यपाल बनीं. वह बंगाल में करीब 11 साल तक बतौर राज्यपाल रहीं.
उनकी मां के नाम देश की पहली महिला राज्यपाल बनने का कीर्तिमान है तो खुद पद्मजा के खाते में भी एक रिकॉर्ड दर्ज है. वह किसी भी प्रदेश या केंद्र शासित प्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल रहने वाली अकेली महिला हैं, और यह रिकॉर्ड आज तक बरकरार है. पद्मजा ही अकेली ऐसी महिला राज्यपाल हैं जो लगातार 10 साल से ज्यादा समय तक इस पद पर बनी रहीं.
देश में अब तक 24 महिला बनीं राज्यपाल
सरोजनी नायडू के बाद से लेकर अब तक देश में 24 महिलाएं राज्यपाल के पद पर पहुंचने में कामयाब रही हैं, जबकि 5 महिलाएं केंद्र शासित प्रदेशों में उपराज्यपाल के पद पर रहीं. सरोजनी नायडू की बेटी पद्मजा के नाम बतौर महिला सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल रहने का रिकॉर्ड है जिसके अगले कई सालों तक टूटने की कोई संभावना नहीं है.
पद्मजा के बाद सबसे ज्यादा समय तक राज्यपाल के पद पर रहने वाली महिला नेत्री का नाम है द्रौपदी मुर्मू. द्रौपदी मुर्मू 18 मई 2015 को झारखंड की राज्यपाल बनी और वह इस पद पर 6 जुलाई 2021 तक रहीं. वह कुल 6 साल 49 दिनों तक पद पर रहीं. इसके बाद मृदुला सिन्हा का नंबर आता है जो 31 अगस्त 2014 से लेकर 2 नवंबर 2019 तक गोवा की राज्यपाल रही थीं.