पांच साल से जंजीरों में कैद जसवीर को बचपन बचाओ आंदोलन ने मुक्त कराया
यह स्पष्ट है कि डेयरी मालिक अक्सर युवक जसवीर को पीटता था क्योंकि चोट के निशान उसकी यातना की गवाही देते थे।
भारत में अभी भी लोगों को गुलाम बनाकर रखा जाता है। प्रत्यक्ष और परोक्ष तरीके से। पंजाब के अमृतसर से गुलामी का एक ऐसा ही ज्वलंत मामला सामने आया है। एक डेयरी मालिक एक युवक को पांच सालों से जंजीरों में कैद कर रखा हुआ था। उसके हाथों की जंजीरें तभी खुलतीं जब उससे काम करवाया जाता। युवक से जब काम ले लिया जाता तब फिर उसके दोनों हाथों पर लोहे की जंजीरों के साथ ताला लगाकर बांध दिया जाता। उसे शारीरिक यातनाएं दी जातीं कि कहीं वह भाग नहीं निकले।
युवक जसवीर सिंह के परिवार के पांचों सदस्य को डेयरी मालिक मात्र 3 हजार रुपये महीने की पगार पर खटवाता था, जिसमें 3 मासूम भी शामिल थे। लेकिन खुशी की बात यह है कि बचपन बचाओ आंदोलन (बीबीए) ने सरकारी एजेंसियों के सहयोग से अब जसवीर और उसके परिवार के पांचों सदस्य को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करा लिया है।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित श्री कैलाश सत्यार्थी द्वारा स्थापित बचपन बचाओ आंदोलन को अपने सहयोगी संगठन से जानकारी मिली कि एक परिवार के पांच सदस्यों को पंजाब के अमृतसर में एक डेयरी फार्म में बंधुआ मजदूर के रूप में खटाया जा रहा है। बीबीए ने मामले को रोकने के लिए तुरंत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से सम्पर्क किया और शिकायत दर्ज कराई। एनएचआरसी ने जिलाधिकारी (डीएम) को मामले पर कार्रवाई करने का आदेश दिया और बीबीए के हस्तक्षेप के बाद डीएम ने तत्काल अधिकारियों को बचाव अभियान आयोजित करने का निर्देश दिया।
बीबीए ने अधिकारियों के साथ मिलकर परिसर में छापामार कार्रवाई को अंजाम दिया और उसने जसवीर नाम के युवक, उसकी पत्नी और उसके तीन मासूमों को मुक्त करा लिया। तीनों मासूम की उम्र छह, चार और दो साल की है। डेयरी मालिक की बर्बरता को देखकर बीबीए की टीम और कार्यक्रम स्थल पर मौजूद सभी लोग हैरान थे। यह घटना इस बात की तस्दीक करती है कि कि संचार क्रांति की रोजाना छलांग लगाती उन्नत दुनिया में आधुनिक दासता किस कदर विद्यमान है और इंसानों के साथ जानवरों से भी बदतर सलूक किया जाता है। यह स्पष्ट है कि डेयरी मालिक अक्सर युवक जसवीर को पीटता था क्योंकि चोट के निशान उसकी यातना की गवाही देते थे।
युवक को उसकी पत्नी और तीन बच्चों के साथ मुक्त करा लिया गया है। पत्नी सदमे में थी और अपनी दुर्दशा बताते हुए उसकी आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। परिवार को तहसीलदार के कार्यालय लाया गया। इस बीच डेयरी फार्म मालिकों का एक बड़ा समूह उस स्थान पर पहुंच गया और मध्यस्था की बात करके चीजों को हल्का करने की कोशिश की कि उक्त ेपरिवार उन्हें जानता है। वे उन्हें बराबर दवा, किराने का सामान खरीदने के लिए बाहर आते-जाते देखते थे। हाथापाई की आशंका को भांपते हुए बीबीए की टीम ने भीड़ से कहा कि उनकी भी बात सुनी जाएगी।
युवक को परिवार के साथ अपने घर वापस जाने के लिए छोड़ दिया गया। लेकिन उसके सामान उसी डेयरी फॉर्म में पड़े हुए हैं जहां उससे बंधुआ मजदूरी करवाई जाती। तहसीलदार ने उसके कमरे में ताला लगा दिया है और चाबी अपने पास रख ली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनका सामान अगले दिन सुबह उन्हें वापस कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि बीबीए पहले भी जालंधर के 40 से ज्यादा बंधुआ मजदूरों को सांगा फार्म से छुड़ा चुका है। पंजाब में इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
बीबीए प्रवक्ता श्री मनीष शर्मा ने कहा-"इस घटना ने मानवता को शर्मसार कर दिया है और हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हम एक सभ्य दुनिया में रह रहे हैं या नहीं। अगले महीने हम 73वां स्वतंत्रता दिवस मनाएंगे और आज भी इंसानों को जानवरों की तरह नियोक्ताओं द्वारा जंजीरों से बांध दिया जाना रोंगटे खड़े कर देने वाला है। मैं अपराधियों के लिए कड़ी सजा की मांग करता हूं। उन्होंने बच्चों को भी बहुत आघात पहुंचाया है।"