अधीनता से आजादी तक का सफर

Journey from subjugation to freedom

Update: 2023-08-15 05:08 GMT


अरविंद जयतिलक 

देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का जयघोष से देश झंकृत और चमत्कृत है। स्वाभिमान से देश का माथा दमक रहा है। अटक से कटक और कश्मीर से कन्याकुमारी तक हर घर तिरंगा की ऊंची शान से आसमान गुंजायमान है। पर्वत, पठार नदियां, झरने सबसे आजादी के तराने प्रस्फुटित हो रहे हैं। पक्षियों का कलरव, भंवरों का गुंजन और मलयगिरी से उठती सुगंधियां भारत की समृद्धि-समरसता और एकता-अखंडता के भाव को लयबद्ध कर रही हैं। सड़कों, संस्थानों व प्रतिष्ठानों से उठती इंकलाब की गूंजे और वंदेमात्रम के मधुर स्वर उन परवानों की याद दिला रहे हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। अधीनता से आजादी तक का सफर त्याग व बलिदान का हैं। पतन से उत्थान तक का है। समर्पण और संकल्प का है। समर्पण व संकल्प का यह उच्चतम भाव और अनवरत 75 वर्षों की साधना से ही आज भारत उपलब्धियों के आसमान पर है। इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए देश को कई बदलावों से गुजरना पड़ा है।

नतीजा आज देश संपूर्ण दुनिया को अपनी सामाजिक-आर्थिक व सांस्कृतिक उपलब्धियों की विराटता का बोध करा रहा है। आज भारत दुनिया का सबसे सफल लोकतांत्रिक देश बन चुका है जिसकी सराहना दुनिया भर में होती है। आजादी के बाद ही भारत ने अपने सभी नागरिकों को ढ़ेरों अधिकार दे दिया जिससे नागरिकों को अपने व्यक्तित्व को संवारने की आजादी मिली। आज के भारत में जाति, धर्म, रंग, लिंग, कुल, गरीब व अमीर आदि के आधार समान है। जनमत का समर्थक भारत ने संसदीय शासन प्रणाली में सभी वर्गों को समान प्रतिनिधित्व प्रदान किया है। आज भारत में सत्ता प्राप्ति के लिए खुलकर प्रतियोगिता होती है और साथ ही लोगों को चुनाव में वोट के द्वारा अयोग्य प्रतिनिधियों को हटाने का मौका भी देता है। देश का संविधान राज्य के लोगों की स्वतंत्रता और उनके अधिकारों में अनुचित हस्तक्षेप करने का अधिकार सरकारों को नहीं दिया है। भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती है कि राजनीतिक दल सभाओं, भाषणों, समाचारपत्रों, पत्रिकाओं तथा अन्य संचार माध्यमों से जनता को अपनी नीतियों और सिद्धांतों से अवगत कराते हैं। विरोधी दल संसद में मंत्रियों से प्रश्न पूछकर, कामरोको प्रस्ताव रखकर तथा वाद-विवाद द्वारा सरकार के भूलों को प्रकाश में लाते हैं। सरकार की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते हुए उसकी नीतियों और कार्यों की आलोचना करते हैं। भारत ने धर्म या भाषा पर आधारित सभी अल्पसंख्यक वर्गों को अपनी इच्छानुसार शिक्षण संस्थाएं स्थापित करने तथा धन का प्रबंध करने का अधिकार दिया है।

भारतीय लोकतंत्र में शिक्षण-संस्थाओं को सहायता देते समय राज्य किसी शिक्षण संस्था के साथ इस आधार पर भेदभाव नहीं करता है कि वह संस्था धर्म या भाषा पर आधारित किसी अल्पसंख्यक वर्ग के प्रबंध में है। इसी तरह भारतीय नागरिकों को सूचना प्राप्त करने का अधिकार हासिल है। इस व्यवस्था ने भारतीय नागरिकों को शासन-प्रशासन से सीधे सवाल-जवाब करने की नई लोकतांत्रिक धारणा को जन्म दी है। इस व्यवस्था से सरकारी कामकाज में सुशासन, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व बढ़ा है जिससे आर्थिक विकास को तीव्र करने, लोकतंत्र की गुणवत्ता बढ़ाने और भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है। सूचना के अधिकार से सत्ता की निरंकुशता पर अंकुश लगा है। यह चमकते-दमकते भारत का शानदार चेहरा है। 274 रुपए प्रति व्यक्ति आय के साथ शुरु हुआ आजादी का आर्थिक सफर आज भारत को दुनिया की ताकतवर आर्थिक महाशक्तियों की कतार में खड़ा कर दिया है। वह दिन दूर नहीं जब भारत 2040 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर लेगा। आज भारत की अर्थव्यवस्था 3 ट्रिलियन डाॅलर के पार पहुंच चुकी है। प्रति व्यक्ति आय भी 90 हजार रुपए से पार है। यह भारत की समृद्धि, ताकत और तरक्की की पहचान है। सच कहें तो आज भारत हर रोज तरक्की की नई इबारत लिख रहा है। कल-कारखाने, उद्योग ध्ंाधें और औद्योगीकरण से विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है। औद्योगीकरण और वैश्वीकरण ने भारतीय शिक्षा, विज्ञान व संचार के क्षेत्र को एक नया आयाम दिया है जिसके जरिए वह नए-नए इनोवेशन के जरिए दुनिया को अचंभित कर रहा है।

आज देश में कई विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय और तकनीकी संस्थान हैं। इनके जरिए आज भारतीय छात्र दुनिया भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं। कभी भारत अपने उपग्रह को स्थापित करने के लिए अमेरिका और रुस की मदद लेता था लेकिन आज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो हर रोज नया कीर्तिमान रच रहा है। इसरो के जरिए स्वदेशी उपग्रहों के साथ कई विदेशी उपग्रह एक साथ भेजे जा रहे हैं। इन 75 वर्षों में देश ने समाज के अंतिम पांत के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने के लिए सामाजिक सुरक्षा व सेवाओं का विस्तार किया है। सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए देश में पोषण सुरक्षा की देखभाल राष्ट्रीय तैयार मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, समन्वित बाल विकास योजना, किशोरी शक्ति योजना, किशोर लड़कियों के लिए पोषण कार्यक्रम और प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना चलायी जा रही है। राष्ट्रीय तैयार मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम पूरे भारत में चल रहा है। समन्वित बाल विकास योजना का विस्तार भी चरणबद्ध ढंग से हो रहा है। 11 से 18 वर्ष तक की उम्र की लड़कियों के पोषण एवं स्वास्थ्य संबंधी विकास के लिए सरकार ने किशोरी शक्ति विकास योजना को हर जगह लागू किया है। भारत ने श्रम आंदोलन के तहत सामाजिक सुरक्षा को मजबूती देने के लिए राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कार्यक्रम योजना को लागू किया है। सामाजिक सुरक्षा के तहत रोजगार सृजन और गरीबी उन्मूलन रणनीति के तहत सरकार द्वारा स्वरोजगार योजना और दिहाड़ी रोजगार योजना चलाया जा रहा है। खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को संशोधित कर लघु एवं ग्रामीण उद्योगों के जरिए ज्यादा से ज्यादा रोजगार सृजन करने के लिए सुनिश्चित किया गया है। असंगठित क्षेत्र को सामाजिक सुरक्षा से लैस करने के लिए राष्ट्रीय उद्यम आयोग की स्थापना एक पारदर्शी निकाय के रुप में की गयी है। किसानों की दशा सुधारने के लिए वर्ष में 6000 रुपए दिए जा रहे हैं।

अब राष्ट्रीय आय का लगभग 28 प्रतिशत भाग कृषि आय से प्राप्त होने लगा है। कृषि कार्य हेतु भूमि उपयोग बढ़कर 43.05 प्रतिशत हो गया है। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और बिचैलियों की भूमिका समाप्त होने से किसानों को उनके उत्पादों की अच्छी आय मिलने लगी है और उत्तम कृषि उत्पादन ने अर्थव्यवस्था और उद्योग-धंधों का विस्तार किया है। दूसरी ओर भारत तेजी से डिजिटल भारत बन रहा है। आधार और भीम जैसे दो डिजिटल कदमों ने भारत में कामकाज और जीने के तौर-तरीके को आसान किया है। आज देश में 131.68 करोड़ आधार कार्ड धारक और 26 करोड़ यूपीआई यूजर्स हैं। देश की आजादी के उपरांत भारत का उद्देश्य एक शक्तिशाली, स्वतंत्र और जनतांत्रिक भारत का निर्माण करना था। ऐसा भारत जिसमें सभी नागरिकों को विकास और सेवा का समान अवसर मिले। ऐसा भारत जिसमें जातिवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, आतंकवाद, नक्सलवाद, छुआछुत, हठधर्मिता और मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण के लिए स्थान न हो। भारत इस लक्ष्य को तेजी से हासिल कर रहा है।

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर भारत हर रोज नया कीर्तिमान गढ़ रहा है। कृषि, उद्योग-धंधे और कल-कारखानों के विस्तार से भारत पांच ट्रिलियन इकोनाॅमी की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। हर वर्ष के बजट में पूंजीगत खर्च पर जोर बढ़ाने से घरेलू विनिर्माण को गति मिल रही है। कर राजस्व संग्रह में तेजी से इजाफा हो रहा है। कृषि क्षेत्र के ढांचागत विकास के लिए आने वाले पांच वर्षों में 25 लाख करोड़ रुपए निवेश का खाका तैयार है जिससे देश तेजी से विकास करेगा। कृषि में नए-नए अनुसंधानों से किसानों की आमदनी बढ़ रही है और नुकसान का जोखिम कम हो रहा है। हर खेत को पानी, कानूनी सुधार में भूमि पट्टेदारी कानून, ठेके पर खेती, मार्केंट सुधार और आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव की संभावना मूर्त रुप ले रही है। देश के समक्ष आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, छद्म युद्ध, विद्रोह, विध्वंस, जासूसी गतिविधियों, साइबर क्राइम, मुद्रा-जालसाजी, कालाधन और हवाला जैसी गंभीर चुनौतियां भी हैं जिसका भारत सफलता से मुकाबला कर रहा है। इससे दुनिया भर में भारत की साख बढ़ रही है।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार है आर्थिक मामलों के जानकार है। 

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