विपक्ष के विरोध के बीच सरकार का बड़ा दांव, रबी की छह फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया

विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने बड़ा दांव चल दिया है।

Update: 2020-09-21 14:48 GMT

नई दिल्ली : कृषि सुधार विधेयकों के संसद में आने के बाद से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर जताई जा रही चिंता और विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने बड़ा दांव चल दिया है। केंद्र सरकार ने सोमवार को रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा कर दी है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में इसकी घोषणा करते हुए बताया कि सरकार ने गेहूं, चना, मसूर, सरसों, जौ और कुसुम के एमएसपी में इजाफे की घोषणा कर दी है। कृषि मंत्री ने कहा कि इसके साथ सरकार ने साबित कर दिया है कि एमएसपी और एपीएमसी की व्यवस्था खत्म नहीं होगी।

कृषि मंत्री ने कहा, ''रबी की बुआई शुरू होने से पहले ही सरकार ने छह रबी की फसलों की एमएसपी बढ़ा दी है। पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) की बैठक में इसको मंजूरी दी गई है। गेहूं की एमएसपी 50 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि के साथ 1975 रुपए हो गई है। चने में 225 रुपए की वृद्धि के बाद एमएसपी 5100 प्रति क्विंटल होगा। मसूर में 300 रुपए प्रति क्विंटल की वृद्धि के बाद 5100 रुपए क्विंटल होगा। सरसों में 225 रुपए का इजाफा किया गया है और अब इसकी एमएसपी 4600 प्रति क्विंटल है। जौ में 75 रुपए की वृद्धि की गई है और किसानों से 1600 रुपए प्रति क्विंटल खरीद होगी। कुसुम में 112 रुपए की वृद्धि के बाद एमएसपी 5327 रुपए होगी।''

कृषि मंत्री ने कहा कि 2013-14 में मसूर पर 2950 रुपए एमएसपी दी जा रही थी आज देश के किसानों को 5100 रुपए पा रहे हैं, यानी 73 फीसदी की अधिक वृद्धि। 2009-14 के बीच में कांग्रेस सरकार के समय में 1.25 लाख मीट्रिक टन दाल की खरीद हुई थी। हमारी सरकार ने 2014 से 2019 के बीच 76.85 लाख मीट्रिक टन दाल खरीदी है। यह 4962 पर्सेंट की वृद्धि है। यदि एमएसपी के भुगतान की बात करें तो मोदी सरकार ने 6 साल में 7 लाख करोड़ रुपए किसानों को भुगतान किया है जो यूपीए सरकार से दोगुना।

कृषि मंत्री ने कहा, ''मैं किसानों से कहना चाहता हूं कि जब हमारे कांग्रेस के मित्र कह रहे थे कि इन बिलों के बाद एमएसपी समाप्त हो जाएगी। एपीएमसी खत्म हो जाएगी। मैंने तब भी कहा था कि एमएसपी जारी रहेगी। आज हमने एमएसपी बढ़ाकर यह प्रमाणित किया है कि यह जारी रहेगी। एपीएमसी के बाहर किसान अपने उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए किसी को भी बेच सकते हैं।''

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