माहौल बंदी के चक्रव्यूह में फँसती मोदी की भाजपा!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राहुल गांधी के संसद में प्रवेश से डर रहे हैं क्योंकि वह फिर वही सवाल करेंगे कि अड़ानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच क्या रिसता है मणिपुर जल रहा है क्यों कुछ उपाय नहीं किए गए हैं

Update: 2023-08-06 17:30 GMT

तौसीफ़ क़ुरैशी

लखनऊ। जैसे-जैसे देश आम चुनाव 2024 की और बढ़ रहा है वैसे-वैसे ही इंडिया का सियासी पारा भी बढ़ रहा है राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता को लेकर निचली अदालतों सहित गुजरात हाईकोर्ट के फ़ैसले से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जो जो हुआ उसने बहुत कुछ बदला भी और किया भी किया यें कि सूरत की निचली अदालत के फ़ैसले से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता घंटों में चली गई और सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के 36 घंटों से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी उनकी सदस्यता बहाल करने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई हैं।

इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राहुल गांधी के संसद में प्रवेश से डर रहे हैं क्योंकि वह फिर वही सवाल करेंगे कि अड़ानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच क्या रिसता है मणिपुर जल रहा है क्यों कुछ उपाय नहीं किए गए हैं राहुल गांधी के इन सवालों के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जवाब देना नहीं चाहते हैं क्योंकि रिसता है और मणिपुर भी जलने दिया गया कांग्रेस यही कह कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर नज़र आ रही हैं कांग्रेस के इस आरोप में दम भी है।देशभर में जो माहौल बंदी की जा रही हैं उससे देश का सबसे बड़ा राज्य यूपी भी अछूता नहीं है यूपी में इंडिया गठबंधन अपनी रणनीति बना रहा है कि यूपी में मोदी की भाजपा को ज़्यादा से ज़्यादा डेंट लगाया जाए क्योंकि यूपी में सबसे ज़्यादा 80 लोकसभा सीट है और मोदी की भाजपा के पास इस समय 65 सीट हैं मोदी की भाजपा का प्रयास हैं कि यूपी में कम से कम नुक़सान हो यदि संभव हो तो 2014 को दोहराया जाए 2014 में मोदी की भाजपा के पास 73 सीट थी 2019 में सपा कंपनी और बसपा कंपनी ने मिलकर चुनाव लड़ा था जिसके चलते मोदी की भाजपा को नुक़सान हुआ था। 

यहाँ भी उल्लेख करना आवश्यक है कि सपा बसपा गठबंधन से जितनी उम्मीद की जा रही थी वह गठबंधन वैसा परिणाम नहीं दें पाया था।इस बार पूरा विपक्ष लामबंद हो रहा है और उसका नाम भी इंडिया दिया गया है इस नाम के आ जाने के बाद से मोदी की भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कोई भी बड़ा नेता इंडिया गठबंधन पर सीधा हमला नहीं कर पा रहे हैं कभी इंडिया गठबंधन की तुलना इंडियन मुजाहिद्दीन से करते हैं कभी ईस्ट इंडिया कंपनी से करते हैं तो कभी घमंडियां से कहते हैं यह सब देख कर कहा जा सकता है कि मोदी की भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित लाजवाब हो गई हैं उसके पास इंडिया गठबंधन पर हमला करने के लिए कोई ठोस जवाब नहीं है।हालाँकि जब विपक्षी दलों के द्वारा पटना में एकजुटता का प्रदर्शन की तैयारी कर रहा था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी अटल बिहारी वाजपेयी के समय वाले एनडीए की याद आ गई जबकि 2014 के बाद से एनडीए का किसी ने नाम भी नहीं सुना था विपक्ष की एकजुटता के चलते मजबूरन एनडीए को जीवित करना पड़ा है यहाँ यह बात भी बताई जानी ज़रूरी है कि एनडीए में जिन दलों को जोड़ा गया वह उतने असर अंदाज नहीं है जितने इंडिया गठबंधन में शामिल दल असर अंदाज समझे जाते हैं।

एनडीए में शामिल दलों की जब 2019 के आम चुनाव को मध्य नज़र रखते हुए समीक्षा की जाती है तो एनडीए में से मोदी की भाजपा को निकाल कर बचे हुए दलों को मिले वोट मात्र दो करोड़ बैठते हैं और इंडिया गठबंधन में शामिल दलों में से अगर कांग्रेस को निकाल कर उनको मिले वोटों को देखा जाता है तो उनकी संख्या 13 करोड़ बैठती है 12 करोड़ कांग्रेस को मिले वोटों को जब इसमें जोड़ा जाता है तो आँकड़ा एकदम फुँकार मारने लगता है और जब एनडीए के दलों के वोट मोदी की भाजपा को मिले वोटों में जोड़ा जाता है तो कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता दिखाई नहीं देता है यही वजह ज़्यादा दलों की संख्या बल होने के बाद भी मोदी की भाजपा , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व RSS भी परेशान दिखाई दे रही हैं। परेशानियों को बढ़ता देख प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित उनके रणनीतिकारों ने गोदी मीडिया को यह संदेश भिजवाया है कि इंडिया में डाट डाट डाट लगा दिया जाए चरणचुंबक गोदी मीडिया विपक्षी गठबंधन के नाम इंडिया को I.N.D.I.A में इस तरह लिखकर इंडिया प्रसारित कर रहा है नहीं तो मालिक नाराज़ हो जाएँगे।

इस तरह डाट डाट डाट लगा कर इंडिया गठबंधन को मोदी की भाजपा ने हराने की सोची है देखते हैं कहाँ तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस रणनीति का असर होता हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व RSS विपक्ष से इस बार इतने भयभीत क्यों नज़र आ रहे हैं यह बात राजनीतिक विश्लेषकों की भी समझ में नहीं आ रही हैं क्योंकि उनका मानना है कि जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडिया गठबंधन पर हमला कर रहे उससे यह संदेश जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व RSS ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व RSS इंडिया गठबंधन के खिलाफ कोई ठोस रणनीति बनाते नज़र नहीं आ रहे हैं इसका क्या कारण है विश्लेषकों यह भी मानना है कि महंगाई बेरोज़गारी बिगड़ती अर्थ व्यवस्था इसका सबसे बड़ा कारण है जनता में यह अहम् मुद्दे अपनी जगहें बना चुके हैं।फिर भी चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आएँगे यह मुद्दे रफ़्तार पकड़ते हैं या धार्मिक धुर्वीकरण हावी होते हैं अभी कहना मुश्किल है आगे-आगे यह सब साफ़ होता जाएगा।

यूपी में मुसलमानों के बाद सबसे बड़े और मज़बूत वोटबैंक की पार्टी बसपा की सुप्रीमो मायावती की एकला चलों की रणनीति से बहुजन समाज पार्टी के नेता यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि बसपा में रहें या ना रहे अगर बसपा अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ती है तो बसपा का एक भी सीट जीतना मुश्किल हो जाएगा जैसे विधानसभा चुनाव में वह देख चुकी हैं कि कितनी बुरी हार हुई मात्र एक विधायक ही विधानसभा पहुँच पाया है और वह भी अपने बलबूते बताया जाता है अगर बसपा सुप्रीमो मायावती ने एकला चलों की रणनीति पर चलते हुए चुनाव लड़ा तो यह बसपा के लिए आत्मघाती क़दम होगा इसमें कोई कुछ नहीं कर सकता है कि अगर किसी ने अपना बना बनाया वजूद ख़त्म करने की ठान ली है तो इसमें कोई क्या कर सकता है।

वैसे अभी भी गुंजाईश है कि हो सकता है बसपा आख़री समय पर इंडिया गठबंधन का हिस्सा बन जाए राजनीति में कोई बात असंभव नहीं होती हैं कब कौन कहाँ चला जाए और कहाँ न जाए पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है और कहना भी नहीं चाहिए।ख़ैर इतना तो कहा जा सकता है कि माहौल बंदी के चक्रव्यूह में मोदी की भाजपा फँसती दिखाई पड़ रही है। इस बार इंडिया गठबंधन पत्ते फ़ेट रहा और मोदी की भाजपा उसका जवाब दे रही हैं और पहले ये होता था कि पत्ते मोदी की भाजपा व RSS फ़ेटती थी और जवाब विपक्ष देता था अब इसका उल्टा हो रहा है यही कारण है कि मोदी की भाजपा इंडिया गठबंधन के द्वारा बनाए गए चक्रव्यूह में फँस रहीं हैं।

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