प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'मन की बात' कार्यक्रम में देश-विदेश के लोगों से अपने विचार कर रहे हैं साझा, प्रधानमंत्री के #MannKiBaat कार्यक्रम की यह 68वीं कड़ी है. मन की बात कार्यक्रम में अपने विचार साझा कर रहे हैं .
प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा कि देश में हो रहे हर आयोजन में जिस तरह का संयम और सादगी इस बार देखी जा रही है, वो अभूतपूर्व है, गणेशोत्सव भी कहीं ऑनलाइन मनाया जा रहा है, तो ज्यादातर जगहों पर इस बार इकोफ्रेंडली गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की गई है.ओणम का पर्व धूम-धाम से मनाया जा रहा है, इस दौरान लोग कुछ नया खरीदते हैं, अपने घरों को सजाते हैं, पूक्क्लम बनाते हैं, ओनम-सादिया का आनंद लेते हैं, तरह-तरह के खेल और प्रतियोगिताएं भी होती हैं, #Onam एक International Festival बनता जा रहा है.
मोदी ने कहा कि ओणम हमारी कृषि से जुड़ा हुआ पर्व है, ये हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए भी एक नई शुरुआत का समय होता है, किसानों की शक्ति से ही तो हमारा जीवन, हमारा समाज चलता है, अन्नदाता को वेदों में भी नमन किया गया है. हमारे पर्वों में पर्यावरण और प्रकृति के साथ सहजीवन का संदेश छिपा होता है, कई सारे पर्व प्रकृति की रक्षा के लिए मनाए जाते हैं, बिहार के पश्चिमी चंपारण में थारु आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन या उनके शब्दों में कहें तो 60 घंटे के बरना का पालन करते हैं.
ऋगवेद में मंत्र है- अन्नानां पतये नमः क्षेत्राणाम पतये नमः
मोदी ने किसानों को लेकर कहा कि हमारे किसानों ने कोरोना की इस कठिन परिस्थितियों में भी अपनी ताकत को साबित किया है, इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7% ज्यादा हुई है, धान की रुपाई इस बार लगभग 10%, दालें 5%, कपास 3 % ज्यादा बोई गई है, मैं इसके लिए देश के किसानों को बधाई देता हूँ. साथ हम दो चीजें कर सकते हैं, अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी सँवार सकते हैं, मैं अपने start-up मित्रों से कहता हूँ कि Team up for toys, आइए मिलकर खिलौने बनाएं, Local खिलौनों के लिये Vocal होने का समय है.
मोदी ने कहा कि विशाखापट्टनम में सी.वी. राजू हैं, उनके गांव के एति-कोप्पका Toys एक समय में बहुत प्रचलित थे, इनकी खासियत ये थी कि ये खिलौने लकड़ी से बनते थे, और इन खिलौनों में कोई कोण नहीं मिलता था, सी.वी. राजू ने अब अपने गाँव के कारीगरों के साथ मिलकर toys के लिए एक movement शुरू कर दिया है. ग्लोबल टॉय इंडस्ट्री 7 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की है, लेकिन, भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है, जिस राष्ट्र के पास इतनी विरासत हो, परम्परा हो, युवा आबादी हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी, हमें, अच्छा लगेगा क्या?