एमएसपी थी, है और आगे भी रहेगी; कोई भी न पाले शंका - तोमर

तोमर ने कहा कि एमएसपी पर तरह-तरह के झूठ बोले गए एवं भ्रम फैलाने के भरसक प्रयास हुए लेकिन नए कृषि सुधार कानूनों के पारित होने के उपरांत न केवल एमएसपी की दरें बढ़ी हैं

Update: 2021-09-08 13:33 GMT

पीआईबी, नई दिल्ली: प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी  की अध्‍यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में रबी विपणन मौसम 2022-23 के लिए रबी फसलों की एमएसपी निर्धारित करने का निर्णय आज लिया गया।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री  नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कहा कि हर बार की तरह एक बार फिर मोदी सरकार ने फसलों की एमएसपी बढ़ाकर तय की है, इससे देश के करोड़ों किसानों को लाभ मिलेगा। सरकार के इस फैसले से उन कतिपय लोगों को भी सीख लेना चाहिए जो यह भ्रम फैला रहे हैं कि एमएसपी समाप्‍त कर दी जाएगी। प्रधानमंत्री  के कुशल नेतृत्‍व में भारत सरकार देश के किसानों के कल्‍याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री जी कई बार आश्‍वस्‍त कर चुके हैं कि एमएसपी थी, है और आगे भी रहेगी।

 तोमर ने कहा कि एमएसपी पर तरह-तरह के झूठ बोले गए एवं भ्रम फैलाने के भरसक प्रयास हुए लेकिन नए कृषि सुधार कानूनों के पारित होने के उपरांत न केवल एमएसपी की दरें बढ़ी हैं अपितु सरकार द्वारा उपार्जन (खरीद) में भी निरंतर बढ़ोत्‍तरी हुई है। इसलिए अब एमएसपी को लेकर किसी के मन में कोई भी शंका नहीं होनी चाहिए, न ही भ्रम फैलाया जाना चाहिए।

तोमर ने बताया कि रबी विपणन मौसम (आरएमएस) 2022-23 हेतु गेहूं की एमएसपी में वृद्धि पर कुल खर्च 92,910 करोड़ रूपये का आंकलन किया गया है, जिसका वहन खाद्यान्‍न सब्‍सिडी के रूप में भारत सरकार द्वारा किया जाएगा। वर्तमान खरीफ विपणन मौसम (केएमएस) 2020-21 एमएसपी पर विगत वर्ष के 773 लाख मीट्रिक टन की तुलना में 890 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की गई। आरएमएस 2021-22 में विगत वर्ष 390 लाख मीट्रिक टन खरीद की तुलना में 433 लाख मीट्रिक टन की गेहूं की खरीद की गई है।

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