प्रधानमंत्री के आरोप, चिन्ता, दावे और राजनीति का ‘स्तर’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की शुरुआत करते हुए कहा, मैं भी शीश महल बनवा सकता था पर गरीबों के लिए चार करोड़ घर बनवाये।

Update: 2025-01-04 15:40 GMT

संजय कुमार सिंह (वरिष्ठ पत्रकार) : प्रधानमंत्री ने जो कहा, "मैं भी कोई शीशमहल बना सकता था लेकिन मेरे लिए देशवासियों को घर मिले, यह मेरा सपना है। आज नहीं तो कल उनके लिए पक्का घर बनेगा, पक्का घर मिलेगा। देश भली-भांति जानता है कि मोदी ने कभी अपने लिए घर नहीं बनाया, लेकिन बीते 10 वर्षों में 4 करोड़ से अधिक लोगों का सपना पूरा किया है। मैं आप सभी की खुशियों में आपके उत्सव का हिस्सा बनने ही आज यहां आया हूं।" दुनिया यह भी जानती है कि मोदी जी की मां जिस घर में रहती थी वह घर उनका ही है और घर की जरूरत उसी को होती है जिसके पास उसके पिता का बनाया भी नहीं होता है। नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं भी रहें तो उन्हें सरकारी घर मिलेगा। उनके लिए घर की चिन्ता वैसी नहीं है जैसी आम भारतीयों के लिए है या होती है। इसके अलावा उनके मित्र, शुभचिन्तक भी सक्षम हैं। 17 लाख का सरकारी उपहार देकर उन्होंने साख भी बनाई ही है।

नरेन्द्र मोदी ने कहा, चार करोड़ लोगों का सपना पूरा किया है, अमर उजाला में छपा है, चार करोड़ घर बनवाये। मुझे लगता है कि यह पक्ष प्रचार के भाजपाई खेल का नतीजा है और ऐसी गलतियों के मायने हैं। पर अभी वह मुद्दा नहीं है। नरेन्द्र मोदी के दावे का सच तो अरविन्द केजरीवाल ने कहा ही है पर उनके कहने से लगता है कि वे अपने घर से, अपनी इच्छा से या अपने श्रम से लोगों के घर का सपना पूरा कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि टाटा के जमशेदपुर, मोदी के मोदीनगर में के साथ तमाम उद्यमियों और सरकारों के घर हैं जो नौकरी करने वालों को मिलते हैं। कई कंपनियां किराये का घर और घर का किराया भी देती हैं।

सांसदों, विधायकों और दूसरे तमाम कर्मचारियों, बाबुओं के साथ प्रधानमंत्री को भी सरकारी घर मिला हुआ है। यह दिल्ली में कई बंगलों को मिलाकर बना हुआ है। तीनमूर्ति भवन को प्रधानमंत्री स्मारक बना दिये जाने के बाद दिल्ली में वर्षों प्रधानमंत्री निवास जैसा कुछ नहीं बना। इंदिरा गांधी जिन दो बंगलों में रहती थीं उसे उनका स्मारक बना दिया गया और फिर सात रेसकोर्स रोड प्रधानमंत्री का निवास बना जिसे नरेन्द्र मोदी ने भले नहीं बनाया पर यह तो नहीं ही कहा कि उन्हें अकेले रहना है इतने बड़े घर की जरूरत नहीं है। रेसकोर्स रोड का नाम बदला सो अलग बात है। और मामला इतना ही नहीं है। नरेन्द्र मोदी का सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और नया संसद भवन - उनका शीश महल न हो देश और इसकी गरीब जनता के लिए तो है ही। केजरीवाल के शीश महल के मुकाबले बहुत महंगा और बहुत ज्यादा लोगों को प्रभावित करने वाला है।

यही नहीं, केजरीवाल शीश महल में खुद नहीं रह रहे हैं। उन्होंने स्वेच्छा से या नरेन्द्र मोदी की राजनीति के दबाव में या उनकी राजनीति के जवाब में इस्तीफा दे दिया है और जैसा तब कहा था वह मुख्यमंत्री का आधिकारिक बंगला है उस पर खर्च का लाभ अब वे नहीं उठा रहे हैं। यह बंगला मुख्यमंत्री को सौंपने या आवंटित करने में भाजपा जितने रोड़े अटका सकती थी, अटकाया और कहा जा सकता है कि उसपर कब्जे में कामयाबी नहीं मिली। फिर भी यह प्रधानमंत्री के लिए मुद्दा है तो आप समझ सकते हैं कि राजनीतिक आरोप लगाने अपनी उपलब्धि (और त्याग गिनाने) का प्रधानमंत्री का स्तर क्या है।

यह सब इस तथ्य के बावजूद कि दिल्ली में तीनमूर्ति भवन के बाद प्रधानमंत्री निवास या शीशमहल भी नरेन्द्र मोदी (की सरकार) ही बनवा रहे हैं। द प्रिंट की अगस्त 2022 की एक खबर के अनुसार, साउथ ब्लॉक के पास दारा शिकोह रोड पर ब्लॉक ए और बी में सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास के सबसे महत्वपूर्ण और हाई-प्रोफाइल हिस्सों में से एक प्रधानमंत्री आवास परिसर के निर्माण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इस परिसर का कुल निर्मित क्षेत्र 2,26,203 वर्ग फुट होगा और इसकी अनुमानित लागत 467 करोड़ रुपये होगी। कुल निर्मित क्षेत्र में से पीएम आवास 36,328 वर्ग फुट में होगा।

द प्रिंट के मुताबिक, प्रधानमंत्री का मुख्य निवास भूतल और पहली मंजिल पर होने के साथ, साउथ ब्लॉक के दक्षिण में स्थित परिसर में पीएम का आवास कार्यालय, एक इनडोर खेल क्षेत्र, सहायक स्टाफ क्वार्टर, एसपीजी कार्यालय, सेवा सदन और सुरक्षा कार्यालय सहित अन्य सुविधाएं होंगी। इस पर 467 करोड़ की लागत का अनुमान है। प्रधानमंत्री आवास परिसर को पूरा करने और उसे सौंपने के लिए सितंबर 2024 की समय सीमा निर्धारित थी।

ऐसे में गरीबों-कमजोरों के लिए सरकारी पैसे से घर बनाना (जिसकी रफ्तार बहुत धीमी है) वायदे से बहुत कम बनाना इतना बड़ा काम नहीं है कि दावा किया जाये। चुनाव प्रचार की शुरुआत की जाये। वह भी तब जब दंगों में कितने घर जलाने गिराने और बर्बाद करने से नहीं रोके जा सके हैं। बुलडोजरों ने तमाम घर गिराने का न्याय किया है, पुराने और निर्माणाधीन घर गिरते रहते हैं, बिल्डर के बनाये घरों में धोखा होता रहता है और अवैध अतिक्रमण के नाम पर लोगों को बेघर किया जाता रहा है और देश के प्रधानमंत्री होने के नाते सब की सर्वोच्च जिम्मेदारी उन्हीं की है।

प्रधानमंत्री की राजनीति और उनके आरोपों का जवाब तो केजरीवाल ने दे ही दिया है और उसमें यह शामिल है कि 10 साल में कोई ऐसा काम नहीं किया जिसे गिना सकें। यह उनके काम का स्तर है जो उन्होंने प्रधानसेवक और चौकीदार के रूप में किया है। फिर भी जीत का दावा करते हैं और अक्सर जीत भी जाते हैं तो वह उनका और उनके संघ परिवार का चुनाव मैनेजमेंट है जिसमें मतदाताओं के नाम कटवाने से लेकर जुड़वाने तक की राजनीति है जिसमें केजरीवाल के खुलासों का कोई असर नहीं हुआ। केजरीवाल ने ऐसे लोगों को राजनीति में आकर्षित किया जिनका पेशा राजनीति नहीं है, मकसद पैसे कमानाा नहीं है जो वाकई जन सेवा कर सकते हैं। मनीष सिसोदिया जांचे परखे उदाहरण हैं। राहुल गांधी ऐसा कर सकते हैं, कर भी रहे हैं पर श्रेय केजरीवाल को है और नरेन्द्र मोदी ने तो राजनीति को जो बना दिया है उसकी बात भी नहीं की जा सकती है।


Tags:    

Similar News