राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने खत्म किया एक दिन का उपवास, सांसदों के व्यवहार से थे आहत

राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने अपना एक दिन का उपवास समाप्त कर दिया है.

Update: 2020-09-23 04:09 GMT

नई दिल्ली : राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने अपना एक दिन का उपवास समाप्त कर दिया है. कृषि विधेयकों को राज्यसभा में पारित करने के दौरान विपक्षी सांसदों के व्यवहार से दुखी होकर हरिवंश एक दिन के उपवास पर थे. हरिवंश ने इस पूरे मामले को लेकर उपराष्‍ट्रपति व राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू को पत्र लिखा. उन्‍होंने पत्र में कहा कि 20 सितंबर को राज्‍यसभा में जो कुछ भी हुआ, उससे मैं पिछले दो दिनों से आत्‍मपीड़ा, आत्म तनाव और मानसिक वेदना में हूं. मैं पूरी रात सो नहीं पाया.

हरिवंश ने पत्र में लिखा, "भगवान बुद्ध मेरे जीवन के प्रेरणास्रोत रहे हैं. बिहार की धरती पर ही आत्‍मज्ञान पानी वाले बुद्ध ने कहा था- आत्‍मदीपो भव:. मुझे लगा कि उच्‍च सदन के मर्यादित पीठ पर मेरे साथ जो अपमानजनक व्‍यवहार हुआ, उसके लिए मुझे एक दिन का उपवास करना चाहिए. शायद मेरे इस उपवास से सदन में इस तरह का आचरण करने वाले माननीय सदस्‍यों के अंदर आत्‍मशुद्धि का भाव जागृत हो जाए."

'पत्र ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया'

गौरतलब है कि हरिवंश नारायण सिंह के समर्थन में खुलकर आने के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को उच्च सदन में हंगामे के मुद्दे पर उप सभापति द्वारा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे एक पत्र को साझा किया. प्रधानमंत्री ने कहा, "माननीय राष्ट्रपति जी को माननीय हरिवंश जी ने जो पत्र लिखा, उसे मैंने पढ़ा. पत्र के एक-एक शब्द ने लोकतंत्र के प्रति हमारी आस्था को नया विश्वास दिया है. यह पत्र प्रेरक भी है और प्रशंसनीय भी. इसमें सच्चाई भी है और संवेदनाएं भी. मेरा आग्रह है, सभी देशवासी इसे जरूर पढ़ें."

निलंबित 8 सदस्यों के लिए चाय-नाश्ता लेकर पहुंचे हरिवंश

इससे पहले संसद परिसर में मंगलवार सुबह धरने पर बैठे राज्यसभा के निलंबित 8 सदस्यों के लिए हरिवंश चाय-नाश्ता लेकर पहुंचे. इन सांसदों ने पूरी रात संसद परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास बिताई. हालांकि, इन सांसदों ने अपना धरना अब समाप्त कर दिया है. निलंबित कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने कहा कि उप-सभापति हरिवंश ने उन्हें बताया कि वह एक सहयोगी के रूप में उनसे मिलने आए थे. यानि कि सरकार की ओर से अब तक कोई भी प्रतिनिधि उनसे मिलने नहीं आया.

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