श्रम सुधार से जुड़े तीन विधेयकों को राज्यसभा से भी मंजूरी, बाहर विपक्ष का प्रोटेस्ट
कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं.
नई दिल्ली : मजदूरों और कामगारों से जुड़े तीन बिल उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020, औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 राज्यसभा में पास हो गए हैं. तीनों ही बिल लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं. राज्यसभा में तीनों बिल ध्वनि मत से पास हुए.
संसद परिसर में सभी विपक्षी पार्टियां प्रदर्शन कर रही हैं. इस दौरान सभी के हाथ में किसान बचाओ के प्लेकार्ड भी हैं. प्रदर्शन में कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद, टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन समेत विपक्ष के कई नेता मौजूद हैं. संसद परिसर में विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने गांधी मूर्ति से लेकर अंबेडकर मूर्ति तक मार्च भी निकाला. विपक्ष कृषि बिल के अलावा श्रम सुधार से जुड़े तीन विधेयकों का भी विरोध कर रहा है.
श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने कहा कि कांग्रेस सदन से गैर हाजिर है, ये कोई नई बात नहीं है. कांग्रेस ने कभी मजदूरों की चिंता नहीं की. उन्होंने बताया कि 2019 में पेश किए गए विधेयकों को श्रम संबंधी स्थायी समिति को भेजा गया था. इसके बाद समिति ने 233 सिफारिशों के साथ रिपोर्ट सौंपी है. इनमें से 174 सिफारिशों को स्वीकार कर लिया गया है.
मंत्री ने गिनाए बिल के फायदे
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सदन में कहा कि मजदूर 72 साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहे थे. मोदी सरकार ने उन्हें न्याय देने का फैसला लिया है. प्रकाश जावड़ेकर ने बिल के फायदे गिनाए. उन्होंने कहा कि सभी मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी मिलेगी, समय पर वेतन मिलेगा, पुरुष और महिला मजदूरों को समान वेतन मिलेगा, नियुक्ति पत्र मिलेगा. सभी मजदूरों का मुफ्त चेकअप किया जाएगा. नौकरी जाने पर तीन महीने तक आधी सैलरी मिलेगी. प्रवासी मजदूर को हर साल एक बार घर जाने के लिए प्रवास भत्ता मिलेगा, मालिक को ये देना होगा. प्रवासी मजदूर जहां काम करेगा वहां उसे राशन मिलेगा. महिला मजदूर को रात में काम करने की इजाजत मिलेगी, लेकिन उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी रोजगार देने वाले की होगी.
बिल का विरोध कर रहा विपक्ष
कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि ये श्रम कानून मजदूर विरोधी और पूंजीपतियों और उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने वाले हैं. पहले आर्थिक सुस्ती और फिर लॉकडाउन के बाद देश में श्रमिकों की हालत पहले से ही खराब है, ये श्रम कानून इन्हें और भी कमजोर बनाएंगे. विपक्ष का कहना है कि कभी भी हायर और फायर की नीति के कारण कंपनियों को मनमानी करने का मौका मिलेगा.