Cheetahs in India : नामीबिया से भारत आने वाले 8 चीतों के बारे में रोचक तथ्य, जानें- मध्य प्रदेश के Kuno National Park को ही क्यों चुना गया?
तो आइए जानते हैं नामीबियन चीतों के नए घर कूनो नेशनल पार्क के बारे में कुछ खास बातें.
Namibian cheetahs in India : भारत में चीतों को लेकर चर्चा ज़ोरों पर है। मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली और दिल्ली से लेकर नामीबिया तक चीतों की ज़िक्र चल रहा है। 70 साल बाद भारत की धरती पर चीतों की वापसी है। नामीबिया से लाकर मध्य प्रदेश के कूनो में शनिवार को छोड़ा जाएगा। इस दौरान प्रधानमंत्री मौजूद रहेंगे। देश से तुप्त हो चुके इस जीव को दोबारा बसाने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही। करोड़ों ख़र्च करके 8 चीतों को स्पेशल जहाज़ से लाया जा रहा है। नामीबिया से चीतों को ला रहा यह चार्टर प्लेन 16 सितंबर की रात को रवाना होगा।
नामीबिया से भारत इन चीतों को बोइंग 747 जहाज़ से लाया जा रहा है। प्रोजेक्ट चीता के चीफ एसपी यादव ने बताया कि बोइंग 747 एयरक्राफ्ट को ख़ासतौर पर चुना गया है। इस जहाज़ को री-फ्यूलिंग के लिए कहीं रोकना नहीं पड़ता। ये एयरक्राफ्ट बिना रुके दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक जा सकता है। इस जहाज़ की मदद से चीते नामीबिया से सीधे भारत (Kuno National Park पहुंचेंगे) । 17 सितंबर की सुबह 7:30 बजे मध्य प्रदेश के कूनो पहुंच जाएंगे।
दिलचस्प बात यह है कि इन 8 चीतों में 5 मादा और 3 नर चीते शामिल हैं। इनमें दो नर चीते सगे भाई हैं और दोनों की उम्र साढ़े 5 साल है जो अभी नामीबिया के रिजर्व में रहते हैं। नर चीता उम्र भर साथ रहते हैं और शिकार में एक दूसरे का साथ देते हैं। इन 8 चीतों में 2 मादा चीतों में एक-दूसरे की बहुत अच्छी दोस्त हैं, और हमेशा एक दूसरे के साथ ही दिखती हैं।
यहां काम करने वाले लोगों ने बताया कि दो एकड़ की जमीन पर यहां एक रिजॉर्ट बनाया जा रहा है. जिसमें 14 कमरे, एक स्वीमिंग पूल, एक रेस्त्रां और टूरिस्ट के लिए और भी कई तरह की चीजों का निर्माण किया जाएगा.
तो आइए जानते हैं नामीबियन चीतों के नए घर कूनो नेशनल पार्क के बारे में कुछ खास बातें.
कूनो नेशनल पार्क भारत के मध्य प्रदेश में स्थित एक नेशनल पार्क है. साल 1981 में इसका निर्माण किया गया था. यह नेशनल पार्क 750 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. वाइल्ड लाइफ लवर्स के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है. यहां पर घास के विशाल मैदान हैं जो कान्हा या बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से भी बड़े हैं. साल 2018 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया था.
माना जाता है कि यहां स्थित करधई पेड़ों के पत्ते मौसम में ह्ययूमिडिटी के चलते मॉनसून आने से पहले ही अपने आप ही हरे हो जाते हैं. इस वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के बीचोबीच कूनो नाम की एक नदी बहती है जिससे ना सिर्फ इस जगह में पानी की आपूर्ति बनी रहती है. साथ ही जंगल के अंदर सिंचाई करने में भी काफी मदद मिलती है. यहां पर वन्यजीवों और पेड़-पौधों की अलग-अलग प्रजाति पाई जाती है.
कूनो नेशनल पार्क में फूलों और जीवों की कई प्रजातियां है. इस नेशनल पार्क में पेड़ों की कुल 123 प्रजातियां, झाड़ियों की कुल 71 प्रजातियां, climbers & exotic species की कुल 32 प्रजातियां, घास और बांस की कुल 34 प्रजातियां, स्तनधारियों की कुल 33 प्रजातियां, पक्षियों की कुल 206 प्रजातियां, मछलियों की कुल 14 प्रजातियां, रेपटाइल्स की कुल 33 प्रजातियां, और उभयचरों की कुल 10 प्रजातियां हैं. फूलों और जीवों दोनों प्रजातियों की इतनी बड़ी संख्या इस क्षेत्र को जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक बनाती है.
भारत में लुप्त हो चुके थे चीते
चीतों की फ्लाइट मध्य प्रदेश के ग्वालियर उतरेगी। 17 सितंबर की सुबह चीतों का प्लेन ग्वालियर में लैंड करेगा फिर इन्हें हेलीकॉप्टर के जरिये मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में ले जाया जाएगा। इससे पहले विमान को राजस्थान के जयपुर )में लैंड कराने की योजना बनी थी लेकिन लॉजिस्टिक दिक्कतों की वजह से मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लैंड कराया जा रहा है।
ऐसा माना जाता है कि मध्य प्रदेश में कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 देश में अंतिम तीन चीतों को मार डाला था। इसके बाद 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया था। चीतों का तेजी से शिकार बढ़ जाने की वजह से ये प्रजाति संकट में आ गई थी। अंत में भारत से ये पूरी तरह लुप्त हो गई।