स्वामी सदानंद जी को द्वारका शारदा पीठ का और अविमुक्तेश्वरानंद जी ज्योतिष्पीठ शंकराचार्य किया घोषित

बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शारदा पीठ और ज्योतिष्पीठ दोनों के शंकराचार्य थे। उनके निधन के बाद यह जिम्मेदारी स्वामी सदानंद जी और अविमुक्तेश्वरानंद को कमान मिली है।

Update: 2022-09-13 06:39 GMT

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शरीर पूरा होने के बाद स्वामी सदानंद जी को द्वारका शारदा पीठ का शंकराचार्य घोषित किया गया है।  स्वामी सदानंद का जन्म मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बरगी गांव में हुआ था। पहले इनका नाम रमेश अवस्थी था। लेकिन उन्होंने 18 साल की उम्र में ब्रह्मचारी दीक्षा ली और फिर इनका नाम ब्रह्मचारी सदानंद हो गया। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती से इन्होंने वाराणसी में दंडी दीक्षा ली। दंडी दीक्षा लेने के बाद इनका नाम स्वामी सदानंद हो गया। अभी ये गुजरात में द्वारका शारदापीठ में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में काम करते थे।

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के शिष्य अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष्पीठ की कमान मिली है। वह जिले की पट्टी तहसील के बाभनपुर गांव के रहने वाले हैं। आठ साल की उम्र में दीक्षा लेने के बाद वह स्वामी स्वरूपानंद के साथ हो लिए थे। सोमवार को वैदिक मंत्रों के बीच स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ( उमाशंकर पांडेय) को ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य बनाया गया।

बता दें कि शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती शारदा पीठ और ज्योतिष्पीठ दोनों के शंकराचार्य थे। उनके निधन के बाद यह जिम्मेदारी स्वामी सदानंद जी और अविमुक्तेश्वरानंद को कमान मिली है। 


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