Sharad Yadav Death: ऐसे टूटी थी शरद-नीतीश की जोड़ी, राजीव गांधी के खिलाफ इस सीट से लड़े थे चुनाव

Sharad Yadav Death: दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव का 12 जनवरी 2023 को 75 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की खबर उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने ट्वीट कर दी।

Update: 2023-01-13 07:57 GMT

Sharad Yadav Death: दिग्गज समाजवादी नेता शरद यादव का 12 जनवरी 2023 को 75 साल की उम्र में निधन हो गया। उनके निधन की खबर उनकी बेटी सुभाषिनी यादव ने ट्वीट कर दी। बिहार की राजनीति में शरद यादव का नाम और उनका काम दशकों पुराना है। शरद यादव बिहार के ही नहीं देश के बड़े नेताओं में शुमार थे। मधेपुरा सीट से चार बार सांसद रह चुके हैं। जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष के साथ केंद्र में मंत्री भी रहे। यहां हम शरद-नीतीश की जोड़ी और राजीव गांधी के खिलाड़ चुनाव लड़ने के लिए खड़े हुए शरद यादव की बात कर रहे हैं।

ऐसे टूटी थी शरद-नीतीश की जोड़ी

साल 1989 का दौर बिहार की राजनीति में एक अलग ही दौर था। सभी घटक दलों के नेता जनता दल में शामिल हो गए। लेकिन 1994 में नीतीश कुमार और जॉर्ज फर्नांडिस ने जनता दल से अलग होकर समता पार्टी का गठन किया। बाद में लालू प्रसाद यादव ने राष्ट्रीय जनता दल के नाम से एक पार्टी भी बनाई। शरद यादव ने 1998 में लोकदल का गठन किया। लेकिन 2003 में शरद यादव, जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार एक हो गए, जिसमें लोकदल और समता पार्टी का विलय हुआ और जनता दल यूनाइटेड की स्थापना हुई, जिसे बिहार में जेडीयू के नाम से जाना जाता है।

वहीं जॉर्ज फर्नांडिस जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए थे। लेकिन कुछ दिनों बाद शरद यादव जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए। नीतीश कुमार और शरद यादव 11 साल साथ रहे। 2003 में जदयू के गठन के बाद जदयू का भाजपा से गठबंधन हुआ और शरद यादव जेडीयू के संयोजक बने। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव लड़ने के बाद जेडीयू बीजेपी से अलग हो गई और शरद यादव ने एनडीए के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया।

राजीव गांधी के खिलाफ लड़ा था चुनाव

वहीं दूसरी तरफ एक और किस्सा है कि जब संजय गांधी की मृत्यु के बाद अमेठी लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव हुए। इसी सीट से राजीव गांधी मैदान में थे। एक ज्योतिषी की सलाह पर चौधरी चरण सिंह ने उस उपचुनाव में राजीव गांधी के खिलाफ शरद यादव को उतारा था। अमेठी उपचुनाव में शरद यादव को मैदान में उतारने के पीछे नानाजी देशमुख की सलाह भी थी। लेकिन राजीव गांधी के आगे शरद हार गए। शरद यादव इस चुनाव को लड़ना ही नहीं चाहते थे। 

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