किसानों को बड़ा तोहफा, सरकार ने इतने रुपये बढ़ाया गन्ने का दाम, जानिए सबकुछ
पीयूष गोयल ने बताया कि 76000 करोड़ रुपये बकाया था, 75700 करोड़ दिया जा चुका है. 142 करोड़ रुपये बाकी है.
नई दिल्ली : नई दिल्ली। गन्ना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है, केंद्र सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य (FRP) बढ़ाने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में गन्ने का FRP बढ़ाकर 290 रुपए प्रति क्विंटल घोषित किया गया है। ये गन्ने के लिये अब तक का सबसे ऊंचा समर्थन मूल्य है। इससे पहले एफआरपी 285 रुपये प्रति क्विंटल था। सरकार के मुताबिक इस फैसले का फायदा 5 करोड़ से ज्यादा गन्ना किसानों और उनके आश्रितों को मिलेगा। साथ ही इस फैसले का सकारात्मक असर शुगर मिल और उससे जुड़ी हुई कार्यों में लगे 5 लाख श्रमिकों पर भी देखने को मिलेगा
कितना हुआ एफआरपी
सरकार के फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि FRP 5 रुपये प्रति क्विंटल बढ़कर 290 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. उन्होंने बताया कि पिछले साल FRP में 10 रु प्रति क्विटंल की बढ़ोतरी की गई थी.
पीयूष गोयल ने बताया कि शुगर का एफआरपी 290 प्रति क्विंटल- जो 10 फीसदी रिकवरी पर आधारित होगा. शुगर का 70 लाख टन एक्सपोर्ट होगा. जिसमें से 55 लाख टन हो चुका है. अभी 7.5 फीसदी से 8 फीसदी एथोनॉल की ब्लेंडिंग हो रही है. अगले कुछ साल में ब्लेंडिंग 20 फीसदी हो जाएगा.
बकाया गन्ना भुगतान
पीयूष गोयल ने बताया कि 76000 करोड़ रुपये बकाया था, 75700 करोड़ दिया जा चुका है. 142 करोड़ रुपये बाकी है.
2020-21 में किसानों का 91000 करोड़ रुपये बकाया था. उसमें से 86000 करोड़ भुगतान हो चुका है. 5000 करोड़ बाकी है. जिसका भुगतान जल्द होगा.
क्या होता है एफआरपी
एफआरपी वह न्यूनतम दाम होते है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है. कमीशन ऑफ एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइसेज (सीएसीपी) हर साल एफआरपी की सिफारिश करता है.
सीएसीपी गन्ना सहित प्रमुख कृषि उत्पादों की कीमतों के बारे में सरकार को अपनी सिफारिश भेजती है. उस पर विचार करने के बाद सरकार उसे लागू करती है. सरकार गन्ना (नियंत्रण) आदेश, 1966 के तहत एफआरपी तय करती है.
एफआरपी (FRP) और एसएपी (SAP) में क्या अंतर होता है?
एफआरपी बढ़ाने का फायदा देश के सभी गन्ना किसानों को नहीं होता है. इसकी वजह यह है कि गन्ना का ज्यादा उत्पादन करने वाले कई राज्य गन्ना की अपनी-अपनी कीमतें तय करते हैं.
इसे स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसएपी) कहा जाता है. उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा अपने राज्य के किसानों के लिए अपना एसएपी तय करते हैं. आम तौर पर एसएपी केंद्र सरकार के एफआरपी से ज्यादा होता है.
अगर आसान शब्दों में कहें तो दाम बढ़ाने के बाद नई एफआरपी 290 रुपये प्रति क्विटंल हो जाएगी. जबकि, उत्तर प्रदेश सरकार ने बीते साल एसएपी के तौर पर 315 रुपये प्रति क्विंटल के दाम तय किए.
सामान्य किस्म के गन्ना के लिए 315 रुपये प्रति क्विटंल है. इस तरह केंद्र सरकार के एफआरपी बढ़ाने का उन राज्यों के किसानों को कोई फायदा नहीं होगा, जहां एसएपी की व्यवस्था है.