भारत में हुआ था इतिहास का सबसे भयानक विमान हादसा, जब दो विमान हवा में टकरा गए थे

देश दुनिया में कुछ ऐसे हादसे होते हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाते हैं. इसमें कोझीकोड विमान हादसा भी एक है क्योंकि विमान के पायलटों ने खुद की जान की बाजी लगाकर 190 लोगों की जिंदगी बचाने की पूरी कोशिश की.

Update: 2020-08-10 09:11 GMT

अभी हाल में केरल के कोझीकोड में हुए विमान हादसे ने हवाई सेवा की सुरक्षा पर कई प्रश्न चिन्ह लगा दिए. सवाल ये उठे कि जब कोझीकोड की हवाई पट्टी भारी बारिश जैसे मौसम के लिए उपयुक्त नहीं थी तो विमान को वहां उतरने की अनुमति क्यों दी गई. सवाल ये भी रहे कि कोझीकोड में पहले से भारी बारिश का अलर्ट जारी था, फिर किसी दूसरे एयरपोर्ट जैसे कि त्रिवेंद्रम या कोच्चि में विमान क्यों नहीं उतारा गया.

बहरहाल, इस पूरे मामले की जांच चल रही है और कुछ दिनों में खामियों की जानकारी लोगों के सामने आ जाएगी. कोझीकोड विमान हादसे में अब तक 18 लोगों की मौत हुई है और दर्जनों लोग घायल हैं. सोमवार को कोझीकोड के अलग-अलग अस्पतालों से 56 यात्रियों को डिस्चार्ज कर दिया गया.

देश दुनिया में कुछ ऐसे हादसे होते हैं जो हमेशा-हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाते हैं. इसमें कोझीकोड विमान हादसा भी एक है क्योंकि विमान के पायलटों ने खुद की जान की बाजी लगाकर 190 लोगों की जिंदगी बचाने की पूरी कोशिश की. विमान के पायलट अपना फर्ज निभाते हुए हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह गए. अन्य विमान हादसे की बात करें तो एक ऐसी ही घटना 12 नवंबर 1996 को यूपी के चरखी-दादरी में हुई थी जिसमें हवा में दो विमान टकरा गए थे. यह हादसा इतना गंभीर था कि आज भी इसे याद कर लोगों को सिहरन हो उठती है. इस विमान हादसे में करीब 349 लोगों की मौत हो गई थी. भारत के इतिहास में यह सबसे भयावह हादसा है.

घटना शाम 6 बजे हुई थी जिसमें लोगों को पहले तो पता ही नहीं चला कि हुआ क्या है. लोग दौड़े-दौड़े खेतों में गए तो उनके होश उड़ गए. आसपास के लोग बताते हैं कि दोनों विमानों के यात्रियों के शव लगभग 10 किमी के दायरे में फैले थे. घटना शाम में हुई थी इसलिए रेस्क्यू के काम में काफी दिक्कतें आई थीं. टकराने वाले विमानों में एक मालवाहक विमान सऊदी अरब का था जबकि दूसरा यात्री विमान कजाकिस्तान का था. यात्री विमान ने दिल्ली से उड़ान भरी थी जबकि दूसरे विमान को दिल्ली में उतरना था. दोनों विमानों की टक्कर चरखी-दादरी के गांव टिकान कलां में हुई थी. लोग यह भी बताते हैं कि अगर विमान रिहायशी इलाके में गिरा होते तो नुकसान का अंदाजा लगाना मुश्किल होता.



चरखी-दादरी की यह घटना और अन्य विमान हादसे बताते हैं कि हवाई सेवा में एक छोटी सी चूक भी कितनी गंभीर साबित हो सकती है. इसे कोझीकोड विमान हादसे से जोड़ कर देखा जा सकता है. कोझीकोड एयरपोर्ट का रनवे ज्यादा लंबा नहीं है. विमान की लैंडिंग के वक्त विजिबिलिटी भी कम थी. भारी बारिश हो रही थी. रनवे पर भी पानी भरा था. ऐसे में दुबई से उड़ान भरने वाला एयर इंडिया का विमान शाम को करीब 7 बजकर 41 मिनट पर कोझीकोड पहुंचा था.

पायलट ने दो बार कोशिश की बचाने की लेकिन विमान हादसे का शिकार हो गया. इसमें पायलट को अपनी जान भी गंवानी पड़ी. अब सवाल उठ रहे हैं कि इतनी भारी बारिश और इतनी कम विजिबिलिटी में आखिर विमान लैंड कराने की अनुमति क्यों दी गई. सांत्वना के तौर पर कह सकते हैं कि विमान में आग लगती तो मंजर कुछ और होता लेकिन ये प्रश्न हमेशा के लिए लोगों के मन में बैठ गए कि पायलट और एटीसी में कहां कम्युनिकेशन गैप रहा कि यह हादसा देखने को मिला.

 

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