मणिपुर में खनिज सम्पदा की लूट के लिए औरतों पर हिंसा की राजनीति

इंडिजिनिस ट्राइबल लीडरस फोरम (आईटीएलएफ/ITLF) के मीडिया सेल ने जुलाई आखिर में वहां हुई घटनाओं की एक रिपोर्ट रिलिज की थीए उसमें बताया गया है कि अब तक 197 कुकी गांवों को जलाया गया है। इन गांवों में 7000 घर थेए सब के सब जल कर खाक हो गए है। कुल 121 कुकी हमर चिन मिजो जोमी एथनिक समुदाय के लोगों की हत्या की जा चुकी है। 359 चर्च और क्वार्टर जला दिए गए है ।206 राहत शिविरों में 58848 लोगों ने शरण ले रखी है।

Update: 2023-08-25 05:18 GMT

-वासवी किड़ो,

मणिपुर बुचड़खाना बना हुआ है। वहां हुई जीनोसाइड की घटनाएं ग्वाटेमाला के मायान आदिवासियों के नरसंहार पर आधारित फिल्म ‘500 ईयरर्स’ की याद दिलाती हैं। वहां सत्ता ने ऐसा खेल खेला की पूरा देश हक्का बक्का रह गया। इसे कुकी और मैतेई संघर्ष बताया जा रहा है लेकिन वास्तव में यह जमीन और खनिज की लूट के साथ धर्म परिवर्तन किए आदिवासियों के सफाए की महज एक बानगी भर है।

इंडिजिनिस ट्राइबल लीडरस फोरम (आईटीएलएफ/ITLF) के मीडिया सेल ने जुलाई आखिर में वहां हुई घटनाओं की एक रिपोर्ट रिलिज की थीए उसमें बताया गया है कि अब तक 197 कुकी गांवों को जलाया गया है। इन गांवों में 7000 घर थेए सब के सब जल कर खाक हो गए है। कुल 121 कुकी हमर चिन मिजो जोमी एथनिक समुदाय के लोगों की हत्या की जा चुकी है। 359 चर्च और क्वार्टर जला दिए गए है ।206 राहत शिविरों में 58848 लोगों ने शरण ले रखी है।

आईटीएलएफ ने अपनी उपरोक्त रिपोर्ट में कहा है कि मैतेई ने कुकी के जीनोसाइड की तैयारी कई सालों से कर रखी थी। जबकि कुकी हमर चिन मिजो जोमी एथनिक समुदाय इस हिंसा के लिए तैयार नहीं था। यही कारण है कि मैतेई मिलिटेंट समूह अरामबाई तेंगोलए मैतेई लिपुन और मीरा पैबिस ने जिस तरह तैयारी कर सामूहिक नरसंहारए हत्या सामूहिक बलात्कार की उसे अंजाम दियाए उससे कुकी चिन हमर मिजो जोमी एथनिक समुदाय की बहुत क्षति हुई। इससे बड़ी साजिश का खुलासा होता है।

मैतेई हिंसावादी ग्रुप ने कुकी हमर चिन मिजो जोमी एथनिक समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाकर हिंसा की शुरूआत की थी। 3 मई को थारी हमर नाम की 62 साल की हमर जाति की महिला को उसके घर में घुसकर बेरहमी से कत्ल कर दिया गया। उसका घर जला दिया गया जिसमें उसके दो कुत्ते भी जलकर मर गए। वह सेवानिवृत सीनियर हेल्थ सुपरवाइजर थी। उनके आवास में पड़ोस के चार कुकी परिवार के 22 लोगों ने शरण ली थी। मैतेई हिंसावादी समूह ने घर को घेर लिया और सबको सरेंडर करने को कहा। थारी हमर के बेटे संसग ने आपबीती बताई। उनके घर को भी लूट लिया गया। यह वारदात न्यू लमबुलने इम्फाल में घटी।

4 मई को इम्फाल के लामफेल में श्रीमती गौजावुंग 57 साल की मणिपुर सरकार में अवर सचिव रही महिला और उसे बेटे 27 के गौलालसंग की हत्या इम्फाल में कर दी गई। वे अपने बेटे के साथ राहत शिविर में शरण लेने जा रहीं थी। उनकी बेटी और अन्य परिजन किसी तरह बचे और अस्पताल में हैं। 4 मई को ही निर्वस्त्र और भीड़ हिंसा की घटना बी फाइनोम गांव जो कांगगुई जिला में है घटी। जिसकी सर्वाधिक चर्चा हुई और जिसका विरोध अब तक जारी है। दोनों महिलाएं किसी तरह बच गई। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है, ताकि दोषियों को सजा मिले।

4 मई को ही लामफेल इम्फाल में श्रीमती चिनथियननैंग जब अपने परिवार के साथ राहत शिविर जा रही थी तब उनकी गाड़ी को तहस नहस कर भीड़ ने खींच लिया और बर्बरतापूर्ण उनकी सास और पति की हत्या कर दी। उन्होंने बाद में खुद को अस्पताल में अपने को पाया। वे बुरी तरह घायल थीं। उनकी सर्जरी की गई। जब उनहें होश आया तो उन्होंने बताया गया कि उसके पति और सास को मार दिया गया है।

4 मई को ही में एग्नेस और उसकी सहेली को मीरा पैबिस की महिलाओं ने आधार कार्ड चेक कर छात्रावास से खींच निकाला और क्रूरता से पिटाई कर बेहोश कर दिया। वे जवाहरलाल इंस्टीच्यूट आफ मेडिकल साइंसेज में इलाज हुआ। 21 दिनों बाद आर्मी ने एस्कार्ट कर उसे लमका ले गये। दोनों नाइटेंगल नर्सिंग इंस्टीच्यूट पोरोमपाट इम्फाल के छात्रावास में थीं। यह सारी कार्रवाई 150 से लेकर 250 की भीड़ अरामबाई तेंगगोल, मैतेई लीपुन ग्रुप और मिरा पैयबीस यमैतेई महिला हिंसावादी संगठन द्ध के द्वारा की गई।

4 मई को ही इम्फाल के उरीपोक में कुमी जोमी समुदाय की एक मां और उसकी दो बेटियों को मैतेई मिलिटेंट समूहों ने क्रूरता पूर्ण तरीके से मार डाला।

5 मई को बड़ी संख्या में औरतों का कत्लेआम हुआ और सामूहिक बलात्कार के बाद बबर्रतापूर्ण हत्या की गई। इम्फाल के गामा कार वाश सेटर में काम करनेवाली दो युवा लड़कियों की सामूहिक बलात्कार के बाद हत्या की गई। कार वाश सेंटर के मालिक समोरजीत निंगथउजा हैं। यह वारदात कानुंग ममंग इम्फाल नामक जगह पर हुई। वे जोमी आदिवासी लड़कियां गामा कार सेंटर में कार वाशिंग का काम करती थीं तथा इम्फाल में किराए के एक मकान में रहती थी। उन्हें घर में घुस कर बालों को पकड़ घसीटकर बाहर लाया गया तथा उन दोंनो साथ निर्ममता के साथ मार पीट कर बलात्कार कर उनकी हत्या कर उनको जलाकर सबूत मिटाने का प्रयास किया गया। इनकी मां ने प्राथमिकी दर्ज की है। 5 बजे से 7 बजे यह घटना घटती रही। पड़ोस के मैतेई परिवारों ने भीड़ का साथ दिया। 7 बजे एक समाज सेवी के पहुंचने पर पूरे घर में खून और मानव के कटे अंग ही बरामद हुए।

सामूहिक नरसंहार और महिलाओं के साथ घर घर घुसकर सामूहिक बलात्कार हत्या की योजना दो महीने पूर्व ही बना ली गई। इम्फाल में कुकी घरों को लाल रंग से दाग लगाकर मार्क कर दिया गया था। घरों में दाग लगाए गई बहुत सी तस्वीरें हैं।

सामूहिक नरसंहार 9 मई से प्रारंभ करने की योजना थी। लेकिन मैतेई हिंसावादी संगठनों ने सूचना लीक होने पर पहले ही 3 मई के पहले ही प्रारंभ कर दिया।

मैतेई हिंसावादी समूह का नाम अरामबाई तेंगागोल, मैतेई लीपुन ग्रुप और मिरा पैयबीस यमैतेई महिला हिंसावादी संगठनद्ध है। यह हिंसावादी ग्रुप 2020 के पूर्व बनाए गए हैं और अभी की हिंसा में इन सभी हिंसावादी ग्रुप खासी चर्चा में है।

पूर्व में मैतेई हिंसावादी ग्रुपों को अनलाफुल एक्टीभिटिज प्रीवेंशन एक्ट ययू ए पी ए द्ध के तहत बैन किया जा चुका है। तभी 2020 में फिर से मैतेई समुदाय ने नया हिंसावादी ग्रुप बनाया है। इसके पूर्व के वाई के एल पी एल (YKLPL) और एए यू एन एल एफए (LUNLF) नामक मैतेई हिंसावादी संगठन काम कर रहे थे जिसे यू ए पी ए के तहत बैन किया गया था। मई माह में मैतेई हिंसावादी संगठनों अरामबाई तेंगागोल, मैतेई लीपुन ग्रुप और मिरा पैयबीस मैतेई महिला हिंसावादी संगठनद्धइन हिंसावादी संगठनों ने मणिपुर पुलिस से 4000 हथियार लूटे थे। इसमें से केवल 1000 हथियार वापस किए गए। ए टी एल एफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है। मणिपुर सरकार ने इसका खंडन किया है। हालांकि सरकार ने लूटे गए हथियारों की वापसी के लिए विज्ञापन प्रसारित किया है। इसकी फोटो प्राप्त हुई है।

इन हिंसावादी संगठनों ने औरतों का सामूहिक बलात्कार कर उनकी हत्याएनंगा करके उसके यौन अंगों से छेड़छाड़ करना फिर सामूहिक बलात्कार कर हत्या करनाए औरतों को उनके घरों में घुस घुस कर सामूहिक बलात्कार कर हत्या करनाए अंगों को काट काट कर फेंक देनाए जला देना ताकि पहचाना ना जा सके। घर छोड़कर भागे कुकी जोम हमर मिजो एथनिक समूह के घरों के सामानों को लूटने का काम किया है। इसकी भी तस्वीर ली गई है।

जिन औरतों का बलात्कार किया गया उनकी संख्या 5 है। इनमें कार वाश सेंटर की दो औरतें और 18 साल की युवती भी शामिल हैं। अधिकतर घटना इम्फाल में हुई है जो कि मणिपुर की राजधानी है। घटनाओं को दिन दहाड़े अंजाम दिया गया है।

5 मई 2023 न्यू लमका लमका जिला में मिस नियानगोईचिंग की वीनस होटल लमका के सामने गोली मार दी गई। वह एक अस्पताल में नर्स थी।

दो लड़के भी पुलिस और हिंसावादी संगठनों की गोली से मारे गए। दस लोग घायल हो गए।मैतेई संगठनो को आर्मी एस्कोट कर रही थी। मणिपुर पुलिस भी साथ थी।ऐसी तस्वीर रिपोर्ट के साथ भेजी गई है।

5.6 मई को गांव फीटायचिंगए कंगगुई जिला और लांगजिंग गांव इम्फाल में दो घटना को अंजाम दिया गया।

फीटायचिंग गांव में 45 साल की विधवा औरत थियनडम वाईफेई की उनके घर में घुस कर हत्या कर दी गई। बर्बरता पूर्वक उनके सिर को काट कर अलग कर दिया गया।उनके हाथ और पैर को काट डाले गए।

एक समाज सेवक ने 7 मई को गोरखा रेजीमेंट को लेकर औरत को खून से भरा क्षतविक्षत कटा शव बरामद किया। वह दो बच्चों की मां थी।

लजिंग गांव में एक औरत की रेप कर हत्या कर दी गई जब वह घर में अकेली थी। इस कुकी औरत ने मैतेई से विवाह किया था। उसका पति बाहर था।

16 मई को चेकोन अयांग पाली रोड में 18 साल की कुकी लड़की जो कि एक छात्रा है। ए टी एम से पैसा निकाल रही थी।वह इम्फाल से बाहर भाग जाना चाहती थी।तभी हिंसावादी भीड़ ने जो दो बोलेरो में सवार थे उसको पकड़ लिया और अयांग पाली रोड में उसे ले गए।उसके हाथों को बांध कर उसके आंखों में पट्टी बांध दी। उनके सिर में राइफल के बट से मार कर उसे बेहोश कर दिया। वे भरी भीड़ में उसकी हत्या नहीं कर पा रहे थे। उसे मारने की योजना बनाने लगे।इस बीच में गनवालों को पेशाब लगा वे पेशाब करने गए तो यह लड़की एक टेमपो ड्राइवर के सहयोग से भाग निकली। मेडिकल रिर्पोट में उसके साथ बलात्कार और मार पीट कर घायल करने की पुष्टि हुई है।वह कोहिमा के अस्पताल में इलाजरत है।

28 मई को लांगचिंग सुगनू गांव में श्रीमती लिथोई हाओकिप को उससके घर में घुस कर गोली मार कर हत्या कर दी गई।

4 जून को आइरोयसिमबा इम्फाल में ही तेनसिंग नाम का 7 साल के बच्चा को 22 ए आर बी कोय कैम्प में उसके सिर में ही गोली मार कर हत्या कर दी। कैम्प में उसे प्राथमिक उपचार दिया गया। लेकिन उसके हालात को देखते हुए उसकी मां और रिश्तेदार को एम्बुलेंस मंगवा कर 20 किलोमीटर दूर अस्पताल ले जाया जाने लगा। पुलिस एस्कोट कर रही थी । हिंसावादी लोगों ने एम्बेलेंस में ही अटैक कर उसे आग के हवाले कर दिया। तीनों जिंदा जल गए। उसकी मां मीना हैंगसिंग और रिश्तेदार मिस लिदिया मैतेई थी। मीना ने कुकी से शादी किया था। लेकिन मैतेई महिला हिंसावादी ग्रुप मीरा पैबीस लोगों ने मैतेई महिलाओं को भी जला डाला।

10 जून को खोकेन गांव जो कुकी जो गांव है। यह कांगगुई जिला में है। सुबह 4 बजे इंडियन रिजर्व बटालियन के पोशाक में सेना का वाहन में हिंसावादी दंगाई लोग उसे गांव में आए। श्रीमती दीमखोखोय 65 सालएश्री खयजामंग 52 साल और श्री जांगपाओ 40 साल को बर्बर तरीके से मार डाला। दीमखोखोय के भाई ने बताया कि वे लोग आर्मी पोशाक में सेना की गाड़ी से आए थे।

6 जुलाई को कवाकेईथल इम्फाल में मिस दोनगैयचिंग कुकी जोमी आदिवासी महिला को हिंसावादी संगठनों मीरा पैबीस व अन्य ने शिशु निष्ठा निकेतन स्कूल के सामने गोलियों से भून डाला।उसकी लाश बहुत देर तक सड़क किनारे पड़ी रही।

ए टी एल एफ (LTLF) की 3 मई से 6 जुलाई तक की रिपोर्ट में अधिकतर औरतों की हत्या और बलात्कार का ब्यौरा है। कुल 121 कुकी जोम मिजो हमर चिन एथनिक समुदाय के लोगों की हत्या का ब्यौरा अब तैयार किया है।

हालांकि इन विवरणों से केवल और केवल यह साबित होता है कि कुकी जोमी मिजो हमर चिन एथनिक समुदाय ही हिंसा का वीभत्स शिकार हुआ है। एथनिक संघर्ष के इतिहास की भी चर्चा की जा रही है। वैसे अब तक जो बातें आदिवासी भारत के बारे में लिखी जाती रही हैं उससे ऐसा लगता है कि आदिवासी भारत को अब भी समझा जाना बाकी है।

कुकी रिसर्च फोरम ने 2022 में एक दस्तावेज तैयार किया था। अभी मैंने आग्रहकर मंगवाया । पूर्वोत्तर भारत का बेहद ही खूबसूरत हिस्सा है और सांस्कृतिक विविधता अनूठी है। कुकी जोमी एथनिक समुदाय के साथ अन्य उपजातियां हैं जो तिब्बत बर्मा परिवार समूह से ही है। कुकी रिसर्च फोरम के मुताबिक कुकी जोमी के इतिहास के साथ बहुत ही छेड़छाड़ की जाती रही है। कुकी जोमी को माइग्रेंट और विदेशी बताया जा रहा है। कुकी जोमी मणिपुर के नहीं है, यह कहा जा रहा है। यह कौन की ताकतें कर रही हैं किसी से छुपा हुआ नहीं है। कुकी रिसर्च फोरम का कहना है कि बहुत से ऐतिहासिक प्रमाण हैं और पुरातत्ववेत्ता सबूत जो बताते हैं कि कुकी जोमी समुदाय मणिपुर में सदियों से रहते आ रहे हैं। मणिपुर का जो मौजूदा सीमांकन हैं वह औपनिवेशिक सीमाना है। उनके पारम्पारिक पुरखौती इलाका को मणिपुर में मिला दिया गया। यह 19 वीं सदी के समय किया गया।

अभी का मणिपुर का दक्षिणी पहाड़ी फेरजॉल, चूराचांदपुर, चांदेल और तेंनगनोउपाल जिला को कांगला किंगडम ने 19 वीं सदी में मणिपुर का हिस्सा बनाया। जो कि कुकी जोमी समुदाय का पारम्पारिक प्रक्षेत्र आदिवासी इलाका हुआ करता था। इसके लिए कांगला किंगडम और कुकी प्रमुख के बीच एक पवित्र संधि हुई थी। भारत की आजादी तक कुकी ने कांगला किंगडम को सेवा दिया था।यह सेवा यु़द्ध में बलिदान देकर जंग में भागीदार बनकर दिया था।

कुकी गांवों और जिलों की संख्या में कमी 1980के दशक से प्रारंभ हुई। अंदरूनी विस्थापन का इतिहास यहां देखने को मिलता है। कुकी रिसर्च फोरम का कहना है कि कुकी को की आदि जो शब्द निकाले गए और उसके अर्थ बताए गए सब के सब गलत व्याख्या से लबरेज है। तारानाथ जो कि एक बौद्ध भिक्षु थे, की किताब भारत में बुद्धिज्म का इतिहास में जो भी कहा गया है वह इतिहास की गलत व्याख्या है।

कुकी चिन मिजो जोमी हमर खुलमीए खोमरेम हलाम जैसे अलग अलग नामों से जाने जाते है। यह एथनिक समुदाय इन नामों से स्थापित है।

बिग्रेडियर सुशील कुमार शर्मा ने अपने शोध आलेख ष्ष्दि काम्पलेक्सिटी आफ ट्राइबल लैंड राइटस एंड कनफिलक्ट इन मणिपुर इश्यूज एंड रिकममेंडेशन में लिखा है कि जमीन ही वह केंद्र बिन्दु है जिसकी वजह से आपसी संघर्ष होते रहे हैं। बिग्रेडियर सुशील कुमार शर्मा मणिपुर में काफी सालों तक पदस्थापित रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि मणिपुर का वत्र्तमान क्षेत्रफल 22327 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। लेकिन यह ऐतिहासिक क्षेत्रफल नहीं है। वास्तविक मणिपुर काफी विस्तृत भूभाग रहा है। सन् 1834 में कबाउ घाटी को मयानमार तत्कालीन बर्मा को लीज में दिए जाने की वजह से यह घटा है। इसको लेकर काफी विवाद रहा है। एथनिक सामाजिक इलाका वहां अलग से जाना जाता रहा है।

अंग्रेजों ने 1891 ईसवी सन् में मणिपुर को जीत लिया। इसके बाद मैतेई राजा चूड़ाचांद सिंह जो नाबालिग थे शासन प्रशासन के लिए अंग्रेजों के एजेंट बनाए गए। मैतेई राजा चूड़ाचांद सिंह ने अपने क्षेत्राधिकार घाटी को अंग्रेजों को सौंप दिया। उन्होंने कभी भी पहाड़ पर रहनेवाले आदिवासी गांवों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। 1949 में मणिपुर भारत का अंग बन गया। इसके 23 साल बाद मणिपुर को राज्य का दर्जा मिला।

बिग्रेडियर सुशील कुमार शर्मा ने लिखा है कि 1917 से लेकर 1919 तक कुकी विद्रोह हुआ। इसके बाद अंग्रेजों ने हिल ट्राइब के लिए एक अलग प्रशासनिक व्यवस्था को विकसित किया। उनके लिए 1945 में अलग शासन के नियम बनाए गए। द्धितीय विश्व युद्ध के 1942 से 1944 के दौरान जापानी सेना और अन्य देशों की सेना का वहां आगमन हुआ और हिल ट्राइब की प्रशासनिक व्यवस्था ध्वस्त हो गई।

इसके बाद ही दबाब बनने पर मणिपुर राजा ने मणिपुर राज्य संविधानिक अधिनियम 1947 और मणिपुर हिल पीपुल्स रेगुलेशन 1947 लाया।मणिपुर मर्जर एग्रीमेंट 21 सितम्बर 1949 को हुआ और वी पी मेनन भारत सरकार की तरफ से हस्ताक्षर किए। मणिपुर राजा तब राजा बोधी सिंह थें। मर्जर के बाद मणिपुर का भूभाग 700 वर्ग मील या 26500 हेक्टेयर हुआ। गौरतलब है कि एक इंच पहाडी आदिवासी इलाका इस मर्जर में नहीं शामिल किया गया। आदिवासी प्रधान और उनकी टेरीटोरी को इसमें नहीं मिलाया गया।

द मणिपुर स्टेट लैंड रेभेन्यू एं लैंड रिफोर्म एक्ट 1960 में लाया गया जो कि घाटी तक ही सीमित था। इसके सेक्सन 2 में कहा गया है कि इस एक्ट का विस्तार पहाड़ों को छोड़कर मणिपुर के मैदानी इलाके तक ही सीमित होगा। इससे पता चलता है कि आदिवासी इलाके की अलग पहचान और प्रशासनिक ईकाई रही है।

मैतेई काफी एडभांस हो चुके हैं और वे आदिवासी नहीं हैं। आदिवासी का दर्जा मिलने से कुकी हमर चिन मिजो के सभी अधिकार छीन जाएंगे। आई टी एल एफ ने अपनी रिर्पोट में बताया है कि मैदानी इलाका में मैतेई बहुसंख्यक हैं और वैष्णवी आस्था के हैं। मणिपुर का लगभग 90 प्रतिशत पहाड़ी इलाका कुकी हमर चिन मिजो एथनिक ग्रुप का निवास स्थल है। 2017.2018 के वित्तीय वर्ष में मणिपुर का बजट आबंटन 5000 करोड़ था। इसमें घाटी के लिए 4892 करोड़ और पहाड़ के लिए 108 करोड़ का आबंटन किया गया। 2018.2019 में 4900 करोड़ का आबंटन में घाटी के लिए 4750 और पहाड़ के लिए केवल 150 करोड़ का आबंटन किया गया। वित्तीय वर्ष 20199 2020 में 5000 करोड़ के कुल आबंटन में घाटी को 4880 करोड़ और 120 करोड़ पहा़ड़ को मिला।2020-2021 के वित्तीय वर्ष में 7000 करोड़ का आबंटन मणिपुर को हुआ। इसमें से 6959 करोड़ घाटी में रहनेवाले मैतेई समुदाय के विकास के लिए आबंटित किया गया। केवल 41 करोड़ पहाड़ में रहनेवाले कुकी हमर चिन मिजो एथनिक समूह के लिए आबंटित किया गया।

कुल 21900 करोड़ रू में मात्र 419 करोड़ रूण् आदिवासियों के विकास के लिए दिए गए। बाकी 21481 करोड़ रू मैतेई समुदाय के लिए दिए गए।

ऐसे में असंतोष का उभार होता रहा। मैतेई समुदाय को इतने से भी संतोष नहीं हो रहा है। पहाड़ और अन्य इलाके जहां में खान खनिज कापर, निकेल, प्लेटिनम और ईंधन मिलें हैं वहां पर कब्जे के लिए संघर्ष की तैयारी काफी सालों से की जाती रही है। कुकी हमर चिन मिजो एथनिक ग्रुप को समूल समाप्त करने की तैयारी की गई है। इसलिए ही यह समूह अलग प्रशासनिक इकाई की मांग करता है।

डाण वासवी किड़ो, पूर्व सदस्य झाड़खंड राज्य महिला आयोग एआदिवासी मामलों की विशेषज्ञ, 

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