सुप्रीम कोर्ट से 'द वायर' को मिली बड़ी राहत, कोर्ट ने कहा, हम नहीं चाहते कि प्रेस का गला दबाया जाए

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते कि प्रेस की स्वतंत्रता का हनन हो. हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के महत्व को समझते हैं. हम नहीं चाहते कि प्रेस का गला दबाया जाए

Update: 2021-09-08 07:00 GMT

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से 'द वायर' और उसके पत्रकारों को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और बाराबंकी में दर्ज FIR रद्द करने की याचिका पर गिरफ्तारी से दो महीने के लिए अंतरिम संरक्षण दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नहीं चाहते कि प्रेस की स्वतंत्रता का हनन हो. हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के महत्व को समझते हैं. हम नहीं चाहते कि प्रेस का गला दबाया जाए, लेकिन हम FIR को रद्द करने के लिए पत्रकारों के लिए सीधे इस अदालत में आने के लिए एक अलग रास्ता नहीं बना सकते हैं.

फाउंडेशन ऑफ इनडिपेंडेंट जर्नलिज्म की याचिका पर जस्टिस एल नागेश्वर रॉव, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना ने ये आदेश दिया है. इस मामले में याचिका दर्ज कर लोनी और बाराबंकी में दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई थी. लोनी में एक मुस्लिम व्यक्ति पर हमले से जुड़े ट्वीट्स पर ऑनलाइन न्यूज प्लेटफॉर्म 'द वायर' और कई अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किए जाने के कुछ दिनों बाद, यूपी पुलिस ने उसी न्यूज पोर्टल के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया है.

इस बार बाराबंकी में केस दर्ज हुआ है. बाराबंकी में एक मस्जिद के ढहाने से जुड़ी डॉक्यूमेंट्री पर प्राथमिकी (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज कराई गई है. FIR में मस्जिद को "अनधिकृत संरचना" के रूप में वर्णित किया गया है और न्यूज वेबसाइट पर 'शत्रुता को बढ़ावा देने' और 'दंगा फैलने के कारणों को बढ़ावा देने' का आरोप लगाया गया है.बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह ने ट्विटर पर एक वीडियो बयान में कहा, "न्यूज पोर्टल ने 23 जून को अपने ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो डॉक्यूमेंट्री साझा की जो निराधार और झूठे बयान देती है. वीडियो में अतार्किक बात कही गई है, जिसमें यह भी शामिल है कि प्रशासन ने एक विशेष धर्म के धार्मिक ग्रंथों को अपवित्र किया और फिर एक नाले में फेंक दिया. ऐसा कुछ नहीं हुआ है." 

 

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