कोरोना से लड़ाई के बीच वैज्ञानिक शाहिद जमील का कोविड टास्क फोर्स के अध्यक्ष पद से इस्तीफा
भारत में कोरोना के स्ट्रेन को पहचानने वाले जीनोम स्ट्रेक्टर ग्रुप की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने शाहिद जमील के हाथ में दी थी।
नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी (Corona Virus Pandemic) की तीसरी लहर के खतरे की संभावनाओं के बीच देश के सीनियर वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील (Virologist Shahid Jameel) ने साइंटिफिक एडवाइजर ग्रुप के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया है. शाहिद जमील ने रविवार (16 मई) को भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम ( INSACOG ) के वैज्ञानिक सलाहकार ग्रुप के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया. हालांकि अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है कि डॉ शाहिद जमील ने फोरम के मुख्य सलाहकार का पद आखिर क्यों छोड़ा है.
वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील महामारी को लेकर केंद्र सरकार द्वारा बनाए खास वैज्ञानिक सलाहकार ग्रुप के सदस्य थे. इस सलाहकार ग्रुप के ऊपर वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर की पहचान करने की जिम्मेदारी थी. कोरोना महामारी के बीच डॉ शाहिद जमील को केंद्र सरकार ने अहम जिम्मेदारी दी थी. उनको केंद्र सरकार ने SARS-CoV-2 वायरस के जीनोम स्ट्रक्चर की पहचान करने वाले वैज्ञानिक सलाहकार ग्रुप का प्रमुख बनाया था. फिलहाल उन्होंने रविवार को इस पद को छोड़ दिया.
वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील, अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी स्कूल ऑफ बायोसाइंस के डायरेक्टर भी हैं. हाल में उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में एक लेख लिखा था. इस लेख में डॉ शाहिद जमील ने कहा था कि भारत में वैज्ञानिकों को 'साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण के लिए जिद्दी प्रतिक्रिया' का सामना करना पड़ रहा है. डॉ शाहिद जमील ने मोदी सरकार को भी सलाह दी थी और लिखा था कि उनको वैज्ञानिकों की बात सुननी चाहिए और पॉलिसी बनाने में जिद्दी रवैया छोड़ना चाहिए.
लेख में वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट की ओर भी ध्यान दिलाया था. उन्होंने लिखा था, 'एक वायरोलॉजिस्ट के तौर पर मैं पिछले साल से ही कोरोना वायरस और वैक्सीनेशन पर नजर बनाए हुए हूं. मेरा मानना है कि कोरोना संक्रमण के कई वैरिएंट्स फैल रहे हैं. ये वैरिएंट्स ही कोरोना की अगली लहर के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.'