हिट एंड रन कानून के खिलाफ ट्रक-बस चालकों का चक्काजाम! 10 साल की जेल, 7 लाख का जुर्माना भी, पेट्रोल-डीजल की किल्लत, फल-सब्जी होंगे महंगे!
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित देशभर के ज्यादातर राज्यों के ट्रक और बस ड्राइवर नए कानून के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं।
Protest Against New Hit-And-Run Law : राष्ट्रव्यापी परिवहन हड़ताल मंगलवार (2 जनवरी) को दूसरे दिन में प्रवेश कर गई और पूरे देश में ईंधन आपूर्ति प्रभावित होने के कारण पेट्रोल पंपों पर लंबी कतारें लग गईं। ट्रक और बस ड्राइवरों ने चक्काजाम कर दिया है। हिट-एंड-रन मामलों के लिए नए लागू भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत सख्त जेल और जुर्माना नियमों के विरोध में ट्रक, बस और टैंकर चालकों द्वारा तीन दिवसीय हड़ताल शुरू की गई थी। इसकी वजह से विभिन्न राज्यों में पेट्रोल-डीजल, फल-सब्जी जैसी बेहद जरूरी चीजें नहीं पहुंच रही हैं, जिसके चलते इन सभी के दाम बढ़ गए हैं।
ट्रक और बस ड्राइवरों ने क्यों किया चक्काजाम?
ट्रक और बस ड्राइवर भारतीय न्याय संहिता के एक प्रावधान का विरोध कर रहे हैं। इसके तहत लापरवाही से गाड़ी चलाने पर गंभीर सड़क दुर्घटना होने और पुलिस या प्रशासन के किसी अधिकारी को सूचित किए बिना मौके से भागने वाले चालकों को 10 साल तक की सजा या सात लाख रुपये के जुर्माने का प्रावधान है।
इसमें लिखा गया है कि यदि हादसे के बाद चालक घटना की जानकारी पुलिस अधिकारी या फिर मजिस्ट्रेट को नहीं देता है तो उसे 10 साल तक की कैद हो सकती है और फाइन भी देना होगा। इसी प्रावधान को लेकर ड्राइवरों में उबाल है। फिलहाल बस, ऑटो, टैक्सी और ट्रक ड्राइवर ही आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन यह सभी पर लागू होगा। ऐसे में निजी वाहन चालकों के लिए भी यह कानून चिंता का मसला है। ऐसे में आने वाले दिनों में हिट एंड रन को लेकर चल रहा आंदोलन बढ़ भी सकता है।
अब तक हिट एंड रन मामले में आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), 304A (लापरवाही के कारण मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है। खास मामलों में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ी जाती है।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित देशभर के ज्यादातर राज्यों के ट्रक और बस ड्राइवर नए कानून के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं। इसका परिवहन सेवाओं के साथ सप्लाई चेन पर असर पड़ सकता है।
लोकसभा में इन कानूनों पर बोलते हुए केंद्रिय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि अगर किसी व्यक्ति से सड़क पर चलते हुए कोई हादसा हो जाता है और वह हादसे में पीड़ित व्यक्ति को उठा कर हॉस्पिटल ले जाता है और पुलिस को सूचना देता है तो इस मामले में गाड़ी चालक के साथ रियायत बर्ती जाएगी और उसे सजा भी कम होगी. यानी अगर आप से गलती से एक्सीडेंट हो जाए और आप पीड़ित को छोड़ कर भागने की बजाय उसकी जान बचाने की कोशिश करते हैं तो आपको ना तो 10 साल की सजा होगी और ना ही आप पर 7 लाख का जुर्माना लगेगा.