कोरोना से निपटने के लिए देश में हुए इंतज़ामों की सुप्रीम कोर्ट ने तारीफ की
जस्टिस शाह ने कहा कि हमें खुशी है कि पीड़ित व्यक्ति के आंसू पोंछने के लिए कुछ किया जा रहा है.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोरोना वायरस (Corona virus) से निपटने के लिए देश में हुए इंतज़ामों की तारीफ की है. जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि हमारे देश में जनसंख्या, वैक्सीन पर खर्च, आर्थिक हालत और विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए असाधारण कदम उठाए गए हैं. उन्होंने कहा कि जो हमने किया, वो दुनिया का कोई और देश नहीं कर पाया. जस्टिस शाह ने कहा कि हमें खुशी है कि पीड़ित व्यक्ति के आंसू पोंछने के लिए कुछ किया जा रहा है.
जस्टिस एम आर शाह ने कहा, "आज हम बहुत खुश हैं. पीड़ित लोगों को कुछ सांत्वना मिलेगी." इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "हमने अपना काम किया है." मेहता ने कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर हमने कोरोना का बेहतर तौर पर जवाब दिया है.
बता दें कि COVID-19 के कारण खुदकुशी करने को भी केंद्र सरकार ने अब कोविड से हुई मौत मानने का हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया है. हलफनामे के मुताबिक, कोविड संक्रमित होने के 30 दिनों के भीतर अगर कोई खुदकुशी कर लेता है तो इसे कोविड से हुई मौत माना जाएगा. ऐसे में उनके परिजनों को भी मुआवजा दिया जाएगा.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा था कि वह कोरोना मृत्यु प्रमाणपत्र से खुदकुशी को बाहर रखने वाले अपने दिशानिर्देश पर पुनर्विचार करे. कोर्ट ने अनुपालन रिपोर्ट पर संतोष जताते हुए कुछ सवाल भी उठाए थे. दरअसल, कोरोना से मौत होने पर परिजनों को मिलने वाली मुआवजा राशि के लिए कोविड-19 मृत्यु प्रमाण पत्र जरूरी है.
कोविड से मौत होने पर मृतकों के परिजनों को 50 हजार रुपये के मुआवजा देने पर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. इस पर 4 अक्टूबर को फैसला सुनाया जाएगा. केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में मुआवजे का प्रस्ताव दिया है.