कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच पार्टी सांसदों से मिले अमित शाह - सूत्र
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बीजेपी सांसदों के ग्रुप के साथ बैठक, जिसके बाद कैबिनेट विस्तार को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया था, सरकार के कामकाज, कोविड की स्थिति और अन्य मामलों को को लेकर फीडबैक लेने की प्रक्रिया का हिस्सा था. सूत्रों ने यह जानकारी दी है. गौरतलब है कि पिछले पांच दिनों से पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपने मंत्रियों और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ बैठक की है.
शाह ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों के सांसदों के साथ शनिवार और रविवार को अपने निवास पर मुलाकात की थी. बताया जाता है कि करीब 30 सांसद और कुछ मंत्री, उनके निवास पर पहुंचे थे.सूत्रों ने बताया कि कोविड-19 की दूसरी लहर के धीमे पड़ने के बाद राजनीतिक गतिविधियां और बैठकों का दौर फिर से शुरू हो गया है. इस बार इन बैठकों का फोकस कोरोना महामारी के दौरान, सांसदों के संसदीय क्षेत्र की स्थिति, कोविड से निपटने और उनके 'प्रदर्शन' और लोगों की शिकायतों पर था.
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह से कैबिनेट विस्तार को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है क्योंकि मोदी मंत्रिमंडल में अभी 28 स्थान खाली है. एक स्थान लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान के निधन से खाली हुआ है जो खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय का काम संभाल रहे थे. इस समय सरकार में पीएम नरेंद्र मोदी के अलावा 21 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और 23 राज्य मंत्री हैं.
वैसे, सहयोगी दलों की नाराजगी को दूर करने और अगले दो वर्षों में विधानसभा चुनाव वाले राज्यों को महत्व देने के लिहाज से कैबिनेट विस्तार की भी उम्मीद लगाई जा रही है. बिहार से नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड कैबिनेट में स्थान की उम्मीद लगाए हुए हैं. कैबिनेट में एक स्थान रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को भी दिया जा सकता है. मध्य प्रदेश में कुछ 'इनाम' दिए जा सकते हैं, जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमे के विधायकों की 'बगावत' के कारण कांग्रेस को बेदखल करके बीजेपी सत्तारूढ़ हुई है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया को पहले ही राज्यसभा सीट दी जा चुकी हैं, यह भी चर्चाएं हैं कि उन्हें केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है.बंगाल से बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष को भी कैबिनेट में स्थान मिल सकता है. सूत्रों ने कहा कि कैबिनेट विस्तार में बंगाल को प्रतिनिधित्व देने के पीछे यह संदेश देना है कि यह राज्य अभी भी बीजेपी की प्राथमिकता में है.